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Shree hanuman chalisa

Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf : Namaste and welcome to my blog, where you can find the Hanuman Chalisa in various languages. The Hanuman Chalisa is a revered hymn that is sung by devotees of Lord Hanuman across the globe. Whether you are looking for the Hanuman Chalisa in Kannada, Bengali, Hindi, Gujarati, or Telugu, you can find it here. You can also download the Hanuman Chalisa in PDF format and read it at your convenience. The lyrics of the Hanuman Chalisa in Kannada and Telugu are available on my blog and are presented in a user-friendly manner. By providing the Hanuman Chalisa in multiple languages, I hope to make this powerful devotional hymn accessible to all who seek its blessings. May the divine grace of Lord Hanuman guide and protect you always. Jai Hanuman!

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श्री हनुमान चालीसा

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।  जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा।   अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।

 कंचन बरन बिराज सुबेसा।  कानन कुंडल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै।

 संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

 विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।

 प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।

 सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

 भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।

 लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

 रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

 सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

 सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।

 जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

 तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

 तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

 जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

 प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

 दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। 

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

 सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना।।

 आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।

 भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।

 नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

 संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

 सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।

 और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।।

 चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।

 साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।

 अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।

 राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।

 तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

 अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

 और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

 संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

 जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

 जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।।

 जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

 तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 

दोहा :

 पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।


Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf

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श्री बजरंग बाण Shri Bajrang Baan

श्री बजरंग बाण

श्री बजरंग बाण | Shri Bajrang Baan

Shri Bajrang Baan lyrics in hindi: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सभी देवी-देवताओं में रामभक्त और अंजनिपुत्र वीर बजरंगबली ऐसे देवता हैं, जो अपने भक्तों के कष्टों, परेशानियां, भय और रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। भगवान हनुमान जल्दी ही प्रसन्न होने वाले देव हैं और आज भी सशरीर इस पृथ्वी पर विचरण करते हैं। भगवान हनुमान चिरंजीवी हैं। भक्त हनुमानजी को प्रसन्न करने और अपनी हर तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उनकी विधिवत पूजा-उपासना करते हैं। सभी इच्छाओं की पूर्ति और भय से मुक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करने के साथ बजरंग बाण का पाठ भी किया जाता है। हनुमान चालीसा के अलावा बजरंग बाण के पाठ को करने से हनुमानजी की आराधना कर उनका आशीर्वाद पाने का सबसे अचूक उपाय माना जाता है। बजरंग बाण के नियमित पाठ करने से कुंडली में ग्रह दोष समाप्त होते हैं। विवाह में आने वाले बाधाएं दूर होती हैं। गंभीर बीमारियों होने की दशा में इसमें राहत या निजात मिलती है। व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अच्छी सफलताएं प्राप्त होने लगती हैं। समाज में मान-सम्मान की वृद्धि होती है और वास्तुदोष खत्म हो जाते हैं। आइए पढ़ते हैं सम्पूर्ण बजरंग बाण का पाठ…


श्री बजरंग बाण


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ध्यान

श्रीराम

अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।

दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।

रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।। 

” दोहा “

“निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।”

“तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥”

“चौपाई”

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।

जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।

जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।

आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।

बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।

अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।

लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।

जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।

ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।

ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।

सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।

पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।

वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।

पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।

बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।

जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।

जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।

चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।

ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।

ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।

यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।

यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।

धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।

“दोहा”

” प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। “

” तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। “




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