(भक्त की इच्छाओं की पूर्ति के साथ शत्रुओं से रक्षा भी करता हैं मां बगलामुखी की चालीसा का पाठ)
कहा जाता हैं कि पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ माता बगलामुखी की चालीसा का पाठ दोनों संध्याओं में करते है मां उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति करने के बाद शत्रुओं से रक्षा कर उनका नाश भी बगलामुखी माता करती हैं ।
माँ बगलामुखी चालीसा का पाठ मनुष्य को सभी प्रकार के संकटों और शत्रुओं से रक्षा करता है. Baglamukhi Chalia
आज के इस पोस्ट में हम माँ बगलामुखी चालीसा को हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित कर रहें हैं. बगलामुखी चालीसा पीडीऍफ़ आदि दे रहें हैं.

॥ दोहा ॥
सिर नवाइ बगलामुखी,लिखूं चालीसा आज ॥
कृपा करहु मोपर सदा,पूरन हो मम काज ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री बगला माता ।
आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥
बगला सम तब आनन माता ।
एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥
शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी ।
असतुति करहिं देव नर-नारी ॥
पीतवसन तन पर तव राजै ।
हाथहिं मुद्गर गदा विराजै ॥ 4 ॥
तीन नयन गल चम्पक माला ।
अमित तेज प्रकटत है भाला ॥
रत्न-जटित सिंहासन सोहै ।
शोभा निरखि सकल जन मोहै ॥
आसन पीतवर्ण महारानी ।
भक्तन की तुम हो वरदानी ॥
पीताभूषण पीतहिं चन्दन ।
सुर नर नाग करत सब वन्दन ॥ 8 ॥
एहि विधि ध्यान हृदय में राखै ।
वेद पुराण संत अस भाखै ॥
अब पूजा विधि करौं प्रकाशा ।
जाके किये होत दुख-नाशा ॥
प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै ।
पीतवसन देवी पहिरावै ॥
कुंकुम अक्षत मोदक बेसन ।
अबिर गुलाल सुपारी चन्दन ॥ 12 ॥
माल्य हरिद्रा अरु फल पाना ।
सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना ॥
धूप दीप कर्पूर की बाती ।
प्रेम-सहित तब करै आरती ॥
अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे ।
पुरवहु मातु मनोरथ मोरे ॥
मातु भगति तब सब सुख खानी ।
करहुं कृपा मोपर जनजानी ॥ 16 ॥
त्रिविध ताप सब दुख नशावहु ।
तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ॥
बार-बार मैं बिनवहुं तोहीं ।
अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं ॥
पूजनांत में हवन करावै ।
सा नर मनवांछित फल पावै ॥
सर्षप होम करै जो कोई ।
ताके वश सचराचर होई ॥ 20 ॥
तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै ।
भक्ति प्रेम से हवन करावै ॥
दुख दरिद्र व्यापै नहिं सोई ।
निश्चय सुख-सम्पत्ति सब होई ॥
फूल अशोक हवन जो करई ।
ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई ॥
फल सेमर का होम करीजै ।
निश्चय वाको रिपु सब छीजै ॥ 24 ॥
गुग्गुल घृत होमै जो कोई ।
तेहि के वश में राजा होई ॥
गुग्गुल तिल संग होम करावै ।
ताको सकल बंध कट जावै ॥
बीलाक्षर का पाठ जो करहीं ।
बीज मंत्र तुम्हरो उच्चरहीं ॥
एक मास निशि जो कर जापा ।
तेहि कर मिटत सकल संतापा ॥ 28 ॥
घर की शुद्ध भूमि जहं होई ।
साध्का जाप करै तहं सोई ॥
सेइ इच्छित फल निश्चय पावै ।
यामै नहिं कदु संशय लावै ॥
अथवा तीर नदी के जाई ।
साधक जाप करै मन लाई ॥
दस सहस्र जप करै जो कोई ।
सक काज तेहि कर सिधि होई ॥ 32 ॥
जाप करै जो लक्षहिं बारा ।
ताकर होय सुयशविस्तारा ॥
जो तव नाम जपै मन लाई ।
अल्पकाल महं रिपुहिं नसाई ॥
सप्तरात्रि जो पापहिं नामा ।
वाको पूरन हो सब कामा ॥
नव दिन जाप करे जो कोई ।
व्याधि रहित ताकर तन होई ॥ 36 ॥
ध्यान करै जो बन्ध्या नारी ।
पावै पुत्रादिक फल चारी ॥
प्रातः सायं अरु मध्याना ।
धरे ध्यान होवैकल्याना ॥
कहं लगि महिमा कहौं तिहारी ।
नाम सदा शुभ मंगलकारी ॥
पाठ करै जो नित्या चालीसा ।
तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा ॥ 40 ॥
॥ दोहा ॥
सन्तशरण को तनय हूं,कुलपति मिश्र सुनाम ।
हरिद्वार मण्डल बसूं ,धाम हरिपुर ग्राम ॥
उन्नीस सौ पिचानबे सन् की,श्रावण शुक्ला मास ।
चालीसा रचना कियौ,तव चरणन को दास ॥
Baglamukhi Chalia
॥ दोहा ॥
नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल ।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ॥
॥ चौपाई ॥
नमो नमो पीताम्बरा भवानी ,
बगलामुखी नमो कल्यानी ॥1॥
भक्त वत्सला शत्रु नशानी ,
नमो महाविधा वरदानी ॥2॥
अमृत सागर बीच तुम्हारा ,
रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा ॥3॥
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना ,
पीताम्बर अति दिव्य नवीना ॥4॥
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे ,
सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे॥5॥
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला,
धारे मुद्गर पाश कराला ॥6॥
भैरव करे सदा सेवकाई ,
सिद्ध काम सब विघ्न नसाई ॥7॥
तुम हताश का निपट सहारा ,
करे अकिंचन अरिकल धारा ॥8॥
तुम काली तारा भुवनेशी ,
त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी ॥9॥
छिन्नभाल धूमा मातंगी ,
गायत्री तुम बगला रंगी ॥10॥
Baglamukhi Chalisa
सकल शक्तियाँ तुम में साजें,
ह्रीं बीज के बीज बिराजे ॥11॥
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन,
मारण वशीकरण सम्मोहन ॥12॥
दुष्टोच्चाटन कारक माता ,
अरि जिव्हा कीलक सघाता ॥13॥
साधक के विपति की त्राता ,
नमो महामाया प्रख्याता ॥14॥
मुद्गर शिला लिये अति भारी ,
प्रेतासन पर किये सवारी ॥15॥
तीन लोक दस दिशा भवानी ,
बिचरहु तुम हित कल्यानी ॥16॥
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को ,
बुद्धि नाशकर कीलक तन को ॥17॥
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,
हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ॥18॥
चोरो का जब संकट आवे ,
रण में रिपुओं से घिर जावे ॥19॥
अनल अनिल बिप्लव घहरावे ,
वाद विवाद न निर्णय पावे ॥20॥
Baglamukhi Chalisa
मूठ आदि अभिचारण संकट,
राजभीति आपत्ति सन्निकट ॥21॥
ध्यान करत सब कष्ट नसावे ,
भूत प्रेत न बाधा आवे ॥22॥
सुमरित राजव्दार बंध जावे ,
सभा बीच स्तम्भवन छावे ॥23॥
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर ,
खल विहंग भागहिं सब सत्वर ॥24॥
सर्व रोग की नाशन हारी,
अरिकुल मूलच्चाटन कारी ॥25॥
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक ,
नमो नमो पीताम्बर सोहक ॥26॥
तुमको सदा कुबेर मनावे ,
श्री समृद्धि सुयश नित गावें ॥27॥
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता ,
दुःख दारिद्र विनाशक माता ॥28॥
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता ,
शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता ॥29॥
पीताम्बरा नमो कल्यानी ,
नमो माता बगला महारानी ॥30॥
Baglamukhi Chalisa
जो तुमको सुमरै चितलाई ,
योग क्षेम से करो सहाई ॥31॥
आपत्ति जन की तुरत निवारो ,
आधि व्याधि संकट सब टारो ॥32॥
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी,
अर्थ न आखर करहूँ निहोरी ॥33॥
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया ,
हाथ जोड़ शरणागत आया ॥34॥
जग में केवल तुम्हीं सहारा ,
सारे संकट करहुँ निवारा ॥35॥
नमो महादेवी हे माता ,
पीताम्बरा नमो सुखदाता ॥36॥
सोम्य रूप धर बनती माता ,
सुख सम्पत्ति सुयश की दाता ॥37॥
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो ,
अरि जिव्हा में मुद्गर मारो ॥38॥
नमो महाविधा आगारा,
आदि शक्ति सुन्दरी आपारा ॥39॥
अरि भंजक विपत्ति की त्राता ,
दया करो पीताम्बरी माता ॥40॥
॥ दोहा ॥
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं , अरि समूल कुल काल ।
मेरी सब बाधा हरो , माँ बगले तत्काल ॥
।। इति बगलामुखी चालीसा समाप्त ।।
Baglamukhi Chalisa in English
।। Doha ।।
Namo Mahavidya Barada, Bagalamukhi Dayala|
Stambhana Kshana Mem Kare , Sumirata Arikula Kala||
।। Chaupai ।।
Namo Namo Pitambara Bhavani, Bagalamukhi Namo Kalyani |1|
Bhakta Vatsala Shatru Nashani , Namo Mahavidya Varadani |2|
Anrita Sagara Bicha Tunhara, Ratna Jadita Mani Mandita Pyara |3|
Svarna Sinhasana Para Asina, Pitambara Ati Divya Navina |4|
Svarnabhushana Sundara Dhare , Sira Para Chandra Mukuta Shrringare |5|
Tina Netra Do Bhuja Nrinala , Dhare Mudgara Pasha Karala |6|
Bhairava Karem Sada Sevarkai , Siddha Kama Saba Vighna Narsai |7|
Tuma Hatasha Ka Nipata Sahara, Kare Akinchana Arikala Dhara |8|
Tuma Kali Tara Bhavaneshi , Tripura Sundari Bhairavi Veshi |9|
Chhinnabhala Dhuma Matangi, Gayatri Tuma Bagala Rangi |10|
Sakala Shaktiyam Tuma Mem Sajem, Hlim Bija Ke Bija Birajem |11|
Dushta Stambhana Arikula Kilana, Marana Vashikarana Sammohana |12|
Dushtochchatana Karaka Mata, Ari Jivha Kilaka Saghata |13|
Sadhaka Ke Vipati Ki Trata, Namo Mahamaya Prakhyata |14|
Mudgara Shila Liye Ati Bhari, Pretasana Para Kiye Savari |15|
Tina Loka Dasa Disha Bhavani, Bicharahu Tuma Jana Hita Kalyani |16|
Ari Arishta Soche Jo Jana Ko, Buddhi Nashakara Kilaka Tana Ko |17|
Hatha Pamva Bandhahum Tuma Take, Hanahu Jibha Bicha Mudgara Bake |18|
Chorom Ka Jaba Sankata Ave, Rana Mem Ripuom Se Ghira Jave |19|
Anala Anila Biplava Ghaharave, Vada Vivada Na Nirnaya Pave |20|
Mutha Adi Abhicharana Sankata, Rajabhiti Apatti Sannikata |21|
Dhyana Karata Saba Kashta Nasave, Bhuta Preta Na Badha Ave |22|
Sumirata Rajadvara Bandha Jave, Sabha Bicha Stambhavana Chhave |23|
Naga Sarpa Brichshrikadi Bhayankara, Khala Vihanga Bhagahim Saba Satvara |24|
Sarva Roga Ki Nashana Hari, Arikula Mulochchatana Kari |25|
Stri Purusha Raja Sammohaka, Namo Namo Pitambara Sohaka |26|
Tumako Sada Kubera Manavem, Shri Sanriddhi Suyasha Nita Gavem |27|
Shakti Shaurya Ki Tunhim Vidhata, Duhkha Daridra Vinashaka Mata |28|
Yasha Aishvarya Siddhi Ki Data, Shatru Nashini Vijaya Pradata |29|
Pitambara Namo Kalyani, Namo Matu Bagala Maharani |30|
Jo Tumako Sumarai Chitarlai , Yoga Kshema Se Karo Sarhai |31|
Apatti Jana Ki Turata Nivaro, Adhi Vyadhi Sankata Saba Taro |32|
Puja Vidhi Nahim Janata Tunhari, Artha Na Akhara Karahum Nihori |33|
Maim Kuputra Ati Nivala Upaya, Hatha Jor Sharanagata Aya |34|
Jaga Mem Kevala Tunhim Sahara, Sare Sankata Karahum Nivara |35|
Namo Mahadevi He Mata, Pitambara Namo Sukhadata |36|
Saunya Rupa Dhara Banati Mata, Sukha Sampatti Suyasha Ki Data |37|
Raudra Rupa Dhara Shatru Sanharo, Ari Jivha Mem Mudgara Maro |38|
Namo Mahavidya Agara, Adi Shakti Sundari Apara |39|
Ari Bhanjaka Vipatti Ki Trata, Daya Karo Pitambari Mata |40|
।। Doha ।।
Riddhi Siddhi Data Tunhim, Ari Samula Kula Kala|
Meri Saba Badha Haro, Mam Bagale Tatkala||
बगलामुखी चालीसा का महत्व |Importance of Baglamukhi Chalia
बगलामुखी चालीसा ( Baglamukhi Chalisa ) माँ बगलामुखी की आराधना करने का एक सरल और सफल माध्यम है.
यह अत्यंत ही शक्तिशाली और सिद्ध चालीसा है.
इस चालीसा का पाठ करने वाले साधक पर माँ बगलामुखी की कृपा रहती है.
शत्रुओं से मुकाबला करने का साहस इस चालीसा के पाठ से मिलती है.
समस्त प्रकार के भय का निवारण माँ बगलामुखी चालीसा के पाठ से होती है.
इस चालीसा को सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें.
माँ बगलामुखी की कृपा प्राप्ति के लिए साधक को भक्तिपूर्वक बगलामुखी चालीसा का पाठ करना चाहिए.
माता बगलामुखी को पीताम्बरा माता भी कहा जाता है.
माता धन सम्पति और सुयश की दाता है.
उनकी कृपा प्राप्ति के लिए माता बगलामुखी चालीसा का पाठ करना एक महत्वपूर्ण माध्यम है.
बगलामुखी चालीसा Tags
बगलामुखी चालीसा,बगलामुखी चालीसा के फायदे,बगलामुखी चालीसा का पाठ,मां बगलामुखी चालीसा,शत्रु नाशक बगलामुखी चालीसा,बगलामुखी चालीसा इन हिंदी पीडीएफ,बगलामुखी चालीसा हिंदी,बगलामुखी चालीसा सुपरफास्ट,जय मां बगलामुखी चालीसा,बगलामुखी चालीसा pdf,बगलामुखी चालीसा लिरिक्स,बगलामुखी चालीसा सुनाएं,श्री बगलामुखी चालीसा,बगलामुखी चालीसा इन हिंदी,बगलामुखी चालीसा मंत्र,बगलामुखी चालीसा हिंदी में,बगलामुखी चालीसा के लाभ,माँ बगलामुखी चालीसा,बगलामुखी की चालीसा,बगलामुखी माता की चालीसा,बगलामुखी चालीसा बगलामुखी चालीसा,बगलामुखी माता का चालीसा,बगलामुखी चालीसा फास्ट,मां बगलामुखी चालीसा आरती,बगलामुखी चालीसा लिरिक्स इन हिंदी,बगलामुखी चालीसा सुनाओ,बगुला चालीसा