
ekadash mukhi hanuman kavach in hindi pdf
Ekadash Mukhi Hanuman Kavach
Ekadash Mukhi Hanuman Kavach : ब्रह्माजी के द्वारा कथित यह कवच वाद-विवाद, भयानक दुःख-कष्ट,ग्रहभय, जलभय, सर्पभय, राजभय, शस्त्रभय किसी भी प्रकार का भय इसके पाठ करने से नहीं रहता | तीनो संध्यो में इसका पाठ करने निःसंदेह लाभ मिलता है | इस कवच को विभीषण ने छंदोबद्ध किया था और गरुड़जी ने लेखन करवाया था | इस कवच के माहात्म्य के अनुसार जो इसका पाठ करेगा उसके हाथो में सभी सिद्धिया निवास करेगी | इसलिए सिद्धिया प्राप्त करनेवाले साधक अभिलाशुको इसका अवश्य नित्य पाठ करना चाहिए |
एकादश मुखी हनुमान कवच
एकादश मुखी हनुमत्कवचम्
अथ श्री एकदाश मुख हनुमत्कवचम् ||
उक्तं चागास्ति संहितायाम ||
लोपामुद्रोवाच ||
कुम्भोद्भव दयासिन्धो कृतं हनुमतः प्रभोः |
यन्त्र मन्त्रादिकं सर्वं त्वन्मुखोदीरितं मया ||
दया करुमपि प्राणनाथ वेदितुमुत्सहे |
कवचं वायु पुत्रस्य एकादश मुखात्मनः ||
इत्येवं वचनं श्रुत्वा प्रियायाः प्रश्रयान्वितम् |
वक्तुं प्रचक्रमे तत्र लोपा मुद्रां प्रति प्रभुः ||
अगस्त्य उवाचः ||
नमस्कृत्वा रामदूतं हनुमन्तं महामतिम् |
ब्रह्म प्रोक्तं तु कवचं शृणु सुन्दरि सादरात् ||
सनन्दनाय च महच्चतुरानन भाषितम् |
कवचं कामदं दिव्यं रक्षः कुल निबर्हणम् ||
सर्व सम्पत्तप्रदं पुण्यं मत्यनां मधुर स्वरे ||
विनियोग ||
ॐ अस्य श्री एकादश मुखि हनुमत्कवच मन्त्रस्य
सनन्दन ऋषिः, प्रसन्नात्मा एकादशमुखि श्री हनुमान देवता,
अनुष्टुप छन्दः, वायु सुत बीजम् | मम सकल कार्यार्थे
प्रमुखतः मम प्राण शक्तिर्वर्द्धनार्थे जपे वा पाठे विनियोगः ||
अथ हृदयादि न्यासः
ॐ स्फ्रें हृदयाय नमः ||
ॐ स्फ्रें शिर से स्वाहा ||
ॐ स्फें शिखायै वौषट् ||
ॐ स्फ्रें कवचाय हुम् ||
ॐ स्फ्रें नेत्र त्रयाय वौषट् ||
ॐ स्फ्रें कवचाय हुम् ||
अथ करन्यासः ||
ॐ स्फें बीज शक्तिधृक पातु शिरो में पवनात्मजा अंगुष्ठाभ्यां नमः ||
ॐ क्रौं बीजात्मानथनयोः पातु मां वानरेश्वरः तर्जनीभ्यां नमः ||
ॐ क्षं बीज रुप कर्णो मे सीता शोक निवाशनः मध्यमाभ्यां नमः ||
ॐ ग्लौं बीज वाच्यो नासां में लक्ष्मण प्राण प्रदायकः अनामिकाभ्यां नमः ||
ॐ व बीजार्थश्च कण्ठं मे अक्षय क्षय कारकः कनिष्ठिकाभ्यां नमः ||
ॐ रां बीज वाच्यो हृदयं पातु में कपि नायकः करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः ||
|| कवचारम्भः ||
ॐ व् बीजं कीर्तितः पातु बाहु में चाञ्जनी सुतः |
ॐ ह्रां बीजं राक्षसेन्द्रस्य दर्पहा पातु चोर दम् ||
सौमं बीज मयी मध्यं में पातु लङ्का विदाहकः |
ह्रीं बीज धरो गुह्यं में पातु देवेंद्र वन्दितः ||
रं बीजात्मा सदा पातु चोरु में वार्घिलंघनः |
सुग्रीव सचिवः पातु जानुनी में मनोजवः ||
आपाद् मस्तकं पातु रामदूतो महाबलः |
पूर्वे वानर वक्त्रोमां चाग्नेया क्षत्रियान्त कृत् ||
दक्षिणे नारसिंहस्तु नैऋत्यां गणनायकः |
वारुण्यां दिशि मामव्यात्खग वक्त्रो हरीश्वरः ||
वायव्यां भैरव मुखः कौवेर्यां पातु में सदा |
क्रोड़ास्यः पातु मां नित्य मीसान्यां रुद्र रुप धृक ||
रामस्तु पातु मां नित्यं सौम्य रुपी महाभुजः |
एकादश मुखस्यैतद् दिव्यं वै कीर्तितं मया ||
रक्षोध्नं कामदं सौम्यं सर्व सम्पद् विधायकम् |
पुत्रदं धनदं चौग्रं शत्रु सम्पतिमर्द्दनम् ||
स्वर्गाऽपवर्गदं दिव्यं चिन्तितार्थप्रदं शुभम् |
एतत् कवचम् ज्ञात्वा मन्त्र सिद्धिर्न जायते ||
अथ फलश्रुतिः ||
चत्वारिंश सहस्त्राणि पठेच्छुद्धात्मना नरः |
एक वारं पठेनित्यं कवच सिद्धिदं महत् ||
द्विवारं वा त्रिवारं वा पठेदायुष्माप्नु यात् |
क्रमादेकादशादेवमावर्तन कृतात् सुधीः ||
वर्षान्ते दर्शनं साक्षाल्लभते नाऽत्र संशयः |
यं यं चिन्तयते कामं तं तं प्राप्नोति पुरुषः ||
ब्रह्मोदीप्तिमेताद्धि तवाऽग्रे कथितं महत् ||
इत्येव मुक्तत्वा कवचं महर्षिस्तूष्णी वभूवेन्दुमुखी निरीक्ष्य |
संहृष्ट चिताऽपि तदा तदीय पादौ ननामाऽति मुदास्व भर्तृ: ||
|| इति श्री एकादश हनुमान मुखी कवच सम्पूर्णं ||
श्री एकादश हनुमान मुखी कवच Tags:
ekadash mukhi hanuman kavach,एकादश मुखी हनुमान कवच pdf,एकादश मुखी हनुमान कवच इन हिंदी,एकादश मुखी हनुमान कवच लाभ,ekadash mukhi hanuman kavach book,ekadash mukhi hanuman kavach meaning,ekadash mukhi hanuman kavach in hindi pdf,ekadash mukhi hanuman kavach pdf,ekadash mukhi hanuman kavach benefits,ekadash mukhi hanuman kavach rudrayamala,ekadash mukhi hanuman kavach in english,ekadash mukhi hanuman kavach lyrics english,एकादश मुखी हनुमान कवच,एकादश मुखी हनुमान,एकादश हनुमान कवच,hanuman ekadash kavach,ekadash mukhi hanuman kavach rudrayamala pdf,ekadash mukhi hanuman mantra,5 मुखी हनुमान कवच,5 mukhi hanuman,5 मुखी हनुमान,5 मुखी हनुमान जी,ekadash mukhi hanuman kavach benefits,ekadash mukhi hanuman kavach in english,ekadash mukhi hanuman kavach in hindi,ekadash mukhi hanuman kavach pdf,ekadash mukhi hanuman kavach in hindi pdf,ekadash mukhi hanuman kavach in hindi pdf free download,ekadash mukhi hanuman kavach mp3 free download,ekadash mukhi hanuman kavach pdf in tamil,ekadash mukhi hanuman kavach rudrayamala
श्री एकादश हनुमान मुखी कवच
यह एकादशमुख हनुमत्कवच साधकों के लिए सौम्य तथा शत्रुसमूह का विशेष संहारक है । यह कवच सम्पूर्ण राक्षसों का विध्वंसक होने से “रक्षोघ्न” कवच के नाम से प्रसिद्ध है । “रक्षोघ्नसूक्त” तो राक्षसों का संहारक ही है पर यह “रक्षोघ्नकवच” राक्षसों का विध्वंसक होते हुए अप्रतिम सुरक्षा भी प्रदान करता है । यह पुत्र, धन, सर्वसम्पत्ति के साथ ही साधक की कामना के अनुसार स्वर्ग तथा अपवर्ग भी प्राप्त करा देता है ।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि यह कवच सम्पूर्ण कामनाओं को पू्र्ण करने में सहज ही समर्थ है । इसीलिए इसके विनियोग में “सर्वकामार्थसिद्धयर्थे” बोला जाता है । भगवत्प्राप्ति होने पर ही समस्त कामनाओं का अन्त होता है । अतः मोक्ष इसका विशेष फल है और अन्य फल आनुषंगिक । अर्थात मोक्षेच्छुकों को अन्य फल निष्कामता होने पर भी सहज ही प्राप्त हो जायेंगे ।
अयोध्या में २२वर्ष का एक छात्र मुझसे भागवत पढ़ता था किन्तु वह इतना डरपोक था कि रात को अपनी माँ के साथ सोता था । लघुशंका लगने पर वह अकेला नहीं जा पाता था । माँ खड़ी रहे तब वह लघुशंका करे । एक दिन उसने अपनी समस्या मुझसे व्यक्त की ।
मैंने उसे इस कवच का १पाठ करने को कहा । पाठ प्रातः कर लिया पर रात को उसे स्वप्न में भयंकर राक्षस दिखा और बोला कि अब पाठ करोगे तो मैं तुम्हारा प्राण ले लूंगा । भयभीत छात्र ने मुझसे अपनी व्यथा बतायी और पाठ करने का साहस नही जुटा पा रहा था ।
अन्ततः मैंने कहा कि तुम मरोगे नहीं-यह गारंटी मेरी है और पाठ मत छोड़ो । दूसरी रात को वह राक्षस फिर दिखा और उसे डराते हुए बोला “यदि तुम पाठ नहीं छोड़े तो मैं तुम्हारी जान ले लूँगा । इस बार राक्षस और अधिक उग्र था । वह बालक तीसरे दिन पुनः चिन्तित था और मर जाने के भय से पाठ करने की हिम्मत उसमें नहीं थी । फिर भी किसी प्रकार पाठ कर ही लिया ।
मैंने कहा कि आज तीसरा दिन है । तुमने पाठ कर लिया है, अब कल तुम्हें अवश्य पाठ करना है । आज के स्वप्न से कल के पाठ का निर्णय मत बदलना । तीसरे दिन की रात को स्वप्न में वही राक्षस दिखा और कर्कश स्वर में बोला – “आज मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि यदि तुमने कल पाठ किया तो मैं तुम्हें अवश्य मार डालूँगा ।
छात्र पढ़ने आया और स्वप्न की पूरी बात बतायी । मैंने पूंछा कि पाठ छोड़े तो नही ? उसने कहा – नहीं
छोड़ा । चौथी रात को उसे वह राक्षस न दिखा ।
उस छात्र में इतनी निर्भीकता आ गयी थी कि रात को १२ बजे अयोध्या “बड़ी छावनी” से लगभग ३किमी दूर “हनुमानबाग” नामक आश्रम में भागवत का पाठ करने साइकिल से जाता था । “विचार कीजिए कि इस कवच से कितनी अधिक निर्भीकता आती है ।” – यह श्रीअवध की एक सत्य घटना आपके समक्ष प्रस्तुत की गयी ।
इस कवच के कितने परिणाम हैं ? -इसका निर्णय श्रीहनुमान जी के अतिरिक्त और कौन कर सकता है । किन्तु इसका पाठ उससे- जिसे यह परम्परया प्राप्त हो -श्रवण करने के बाद ही आरम्भ करना चाहिए ।। और कुछ दिन यदि उसके सान्निध्य में रहकर किया जाय तो अत्युत्तम होगा । स्वतः आरम्भ कर देने पर कोई विघ्न आये तो मनोबल को कौन बढ़ायेगा ? आवश्यक सुरक्षा कहाँ से प्राप्त होगी ? अतः इसका आरम्भ पूर्वोक्त रीति से किसी के द्वारा श्रवण़ करने के साथ ही पाठशुद्ध हो जाने पर प्रारम्भ करना चाहिए ।
शरभेश्वरकवच के पाठ में गड़बड़ी होने पर पागल हुए साधकों की स्थिति यथावत् करने के लिए विज्ञ महापुरुष इसी कवच का आश्रय लेते हैं । इसके उनका कुछ अनुभव आपके लिए और प्रस्तुत करेंगे जिन्होंने मेरे निर्देशन में आपत्ति के समय इसका पाठ किया है ।
जो द्विज हैं । वे इस कवच का पाठ करने से पूर्व १माला ब्रह्मगायत्री अवश्य जप लें । जप के पूर्व आसनशुद्धि, देहशुद्धि, शिखाबन्धन तथा प्राणायामादि अत्यावश्यक है । गायत्री जप के पश्चात् ही इस कवच का पाठ करें । अब आपके समक्ष प्रामाणिक पाठ प्रस्तुत किया जा रहा है । बाजार की पुस्तकों से इस पाठ को संशोधित न करें । अन्यथा हानि की सम्भावना है या लाभ न हो; क्योंकि यह पाठ अतिशुद्ध है । आजकल उपलब्ध पुस्तकों में अनेक अशुद्धियाँ हैं ।
वैसे व्यक्ति जो किसी न किसी संकट में ही हमेशा रहते है, उनको खासकर इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए|
हनुमान जी को संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि जब भी हम किसी संकट में होते है तो हमें संकट से हनुमान जी ही बहार निकलते है|
हनुमान जी को सनातन धर्म में भी ही प्रमुख माना गया है क्योंकि हनुमान ही पृथ्वी में सिर्फ दूसरों के संकट को हरण करने के लिए आया है|
और सनातक धर्म के अनुसार हनुमान जी आज भी पृथ्वी पर ही है क्योंकि हनुमान जी को माता सीता के द्वारा चिरंजीव का वरदान प्राप्त हुआ था|
एकादश मुखी हनुमान कवच का पाठ बहुत ही लाभकारी माना जाता है और हनुमान जी के इस कवच का पाठ प्राय पुरुष हिकारते है क्योंकि हनुमान जी के ज्यादातर पूरा पुरुष ही करते है|
एकादश मुखी हनुमान कवच पाठ करने का विधि
- जैसा कि हम सब जानते है मुख्य तौर पर मंगलवार को हनुमान जी की पूजा होती है, इसीलिए मंगलवार को इस कवच का पाठ करना बहुत ही लाभकारी मना जाता है|
- वैसे इस कवच का पाठ आप कभी भी कर सकते है इसके लिए कोई दिन निर्धारित नहीं है|
- अगर आप सुबह इस कवच का पथ करना चाहते है तो सुबह स्नान करके ही इस कवच का पाठ करें|
- इस कवच का पाठ करते समय हनुमान जी का ध्यान अवश्य करें|
- अधिक लाभ के लिए कवच का पाठ करने के बाद हनुमान जी को भोग अवश्य लगाये और असहाय को दान अवश्य करें|