हनुमानजी सहस्त्रनामावली | Hanuman Sahasranamam

हनुमानजी सहस्त्रनामावली (के 1000 नाम) हिन्दी में | Hanuman Sahasranamam 1008 Names

हनुमानजी सहस्त्रनामावली (के 1000 नाम) हिन्दी में | Hanuman Sahasranamam 1008 Names

हनुमान सहस्त्रनामावली (1000 नाम) हिन्दी अर्थ सहित

हनुमत्सहस्त्रनाम (Hanuman Sahasranama) का वर्णन ‘बृहज्ज्योतिषार्णव ’ में किया गया है । सर्वप्रथम श्री रामचंद्रजी ने हनुमान सहस्त्रनाम (Lord Hanuman 1008 Names) से हनुमानजी की स्तुति की थी । हनुमान जी को अपना इष्ट देव मानने वालो को हनुमत्-सहस्त्रनाम का पाठ प्रतिदिन करना चाहिये । इस सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ जो मनुष्य करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है।

1. हनुमान्: – विशाल और टेढी ठुड्डी वाले ।

2. श्रीप्रद: – शोभा प्रदन करने वाले ।

3. वायुपुत्र: – वायु के पुत्र

4. रुद्र: – जो रुद्र के अवतार हैं (हनुमान जी एकादश रुद्र हैं)

5. अनघ: -पाप से रहित

6. अजर: – वृद्धावस्था से रहित

7. अमृत्य: – मृत्यु से रहित

8. वीरवीर: – वीरों में अग्रणी

9. ग्रामवास: – गाँवों में निवास करने वाले

10. जनाश्रय:- समस्त जनों को आश्रय प्रदान करने वाले

11. धनद: -धन धान्य देनेवाले

12. निर्गुण: -सतोगुण,रजोगुण एवं तमोगुण से रहित ।

13. अकाय: -भौतिक देह से रहित ।

14. वीर: – पराक्रमी ।

15. निधिपति: – नवनिर्धायों के स्वामी ।

16. मुनि: – वेद शास्त्रों के गूहार्थ के ज्ञाता ।

17. पिंगाक्ष: – पीले-पीले नेत्रों वाले ।

18. वरद: – मनोवांछित वरदान देने वाले ।

19. वाग्मी: – कुशल वक्ता ।

20. सीताशोकविनाशन: – सीता जी के शोक को मिटाने वाले ।

21. शिव: – मंगलमय ।

22. सर्व: -सर्वस्वरूप ।

23. पर: – प्रकृति से भी परे ।

24. अव्यक्त: -अव्यक्त स्वरूपवाले ।

25. व्यक्ताव्यक्त: -जो श्रद्धालु भक्तों के समक्ष व्यक्त तथा अभक्त्जनों के लिए अव्यक्त है ।

26. रसाधर:- पृथ्वी को धारण करने वाले ।

27. पिंगरोम: -पीले रोम वाले ।

28. पिंगकेश: -पीले केशों वाले ।

29. श्रुतिगम्य: -जो श्रुतियों द्वारा जानने योग्य है ।

30. सनातन: -सदैव विद्यमान रहने वाले ।

31. अनादि: – आदि से रहित ।

32. भगवान: -ऐश्वर्य मिक्त ।

33. देव:- अत्यंत दीप्त स्वरूप ।

34. विश्वहेतु: -जगत् के मूल कारण ।

35. निरामय: -नीरोग ।

36. आरोग्यकर्ता: – आरोग्य प्रदान करने वाले ।

37. विश्वेश:- विश्व के ईश्वर ।

38. विश्वनाथ: -संसार के स्वामी ।

39. हरीश्वर: -वानरों के स्वामी ।

40. भर्ग:- तेज स्वरूप ।

41. राम: – जिनमें भक्तलोग रमण करते हैं ।

42. रामभक्त:- राम के भक्त ।

43. कल्याणप्रकृति: – कल्याण करना जिनका सवभाव है ।

44. स्थिर: -पर्वत के समान अचल ।

45. विश्वम्भर: – विश्व का भरण –पोषण करनेवाले ।

46. विश्वमूर्ति: -विश्व जिनकी मूर्ति है।

47. विश्वाकार: – जो सर्वस्वरूप हैं ।

48. विश्वप: – जो विश्व का पालन करते हैं।

49. विश्वात्मा: -जो विश्व की आत्मा हैं।

50. विश्वसेव्य: -सारे विश्व के सेवनीय।

51. विश्व:- जो विश्व हैं।

52. विश्वहर: – विश्व के हर्ता ।

53. रवि: – सुर्यस्वरूप ।

54. विश्वचेष्ट: – विश्व के हित में चेष्टा करनेवाले ।

55. विश्वगम्य: -विश्व के प्राणिमात्र के प्राप्त करने योग्य ।

56. विश्वध्येय: -सबके ध्यान करने योग्य ।

57. कलाधर: – कलाओं को धारण करनेवाले ।

58. प्लवंगम: – उछलते- कूदते चलनेवाले ।

59. कपिश्रेष्ठ: – वानरों में श्रेष्ठ ।

60. ज्येष्ठ: – महान् ।

61. वैद्य: -भवरोग के चिकित्सक ।

62. वनेचर: – सीताजी की खोज में वन-वन भटकने वाले ।

63. बाल: – बालक के समान निश्चल अथवा बालरूप हो सुरसा के मुँह में प्रवेश करनेवाले ।

64. वृद्ध: – बढ़कर पर्वताकार होनेवाले ।

65. युवा: – सदा तरुण स्वरूप ।

66. तत्वम्: – संसार के कारण स्वरूप ।

67. तत्त्वगम्य: -तत्वरूप में जानने योग्य ।

68. सखा: -सबके सखा ।

69. अज: -अजन्मा ।

70. अञ्जनासूनु: – माता अञ्जना के पुत्र ।

71. अव्यग्र:- कभी व्यग्र न होनेवाले ।

72. ग्रामख्यात: – गाँव-गाँव में प्रसिद्ध ।

73. धराधर: – पृथ्वी को धारण करनेवाले- पर्वताकार ।

74. भू: – पृथ्वीलोकस्वरूप ।

75. भुव: – भुवर्लोकस्वरूप ।

76. स्व: – स्वर्गलोकस्वरूप ।

77. महर्लोक: – महर्लोकस्वरूप ।

78. जनलोक: – जनलोकस्वरूप ।

79. तप: तपोलोकस्वरूप ।

80. अव्यय: – अविनाशीस्वरूप ।

81. सत्यम्:- संतों के लिए हितकर ।

82. ॐकारगम्य: – ॐकारके द्वारा प्राप्त होनेवाले ।

83. प्रणव: – ॐकारस्वरूप ।

84. व्यापक: – सर्वव्यापी ।

85. अमल: – दोषरहित ।

86. शिवधर्म प्रतिष्ठाता: – पाशुपत अथवा कल्याण- धर्म को प्रतिष्ठित करनेवाले ।

87. रामेष्ट:- जिनके श्रीराम इष्टदेव हैं ।

88. फाल्गुन प्रिय: -जो अर्जुन के प्रिय हैं ।

89. गोष्पदीकृतवारीश: – समुद्र को जलपूरित गोपद के समान लाँघनेवाले ।

90. पूर्णकाम: -जिनकी सारी कामनाएँ पूर्ण हैं।

91. धरापति: -पृथ्वी के स्वामी ।

92. रक्षोघ्न: -राक्षसों को मारनेवाले ।

93. पुण्डरीकाक्ष: – श्वेत कमल के समान नेत्रवाले ।

94. शरणागतवत्सल: – शरण में आए हुये पर कृपा करनेवाले ।

95. जानकीप्राणदाता: – जानकीको जीवन प्रदान करनेवाले ।

96. रक्षःप्राणापहारक: – राक्षसों का प्राण – नाश करनेवाले ।

97. पूर्ण:- पूर्णकाम ।

98. सत्य:- सत्यस्वरूप ।

99. पीतवासा: -पीला वस्त्र धारण करनेवाले ।

100.दिवाकर समप्रभ: – सूर्य के समान तेजस्वी ।

Hanuman Sahasranamam 1008 Names

101.देवोद्यानविहारी: – देवताओं के नंदन-वन में विहार करने वाले ।

102.देवताभयभञ्जन: – देकताओं के भय को नष्ट करनेवाले ।

103.भक्तोदयो: – भक्तों की उन्नति करनेवाले ।

104.भक्तलब्ध: – भक्तों के दवारा प्राप्त ।

105.भक्तपालन तत्पर: – भक्तों की रक्षा में तत्पर ।

106.द्रोणहर्ता:- द्रोणाचलको उखाड़कर लानेवाले ।

107.शक्तिनेता – शक्तियों के संचालक ।

108.शक्तिराक्षसमारक: -शक्तिशाली राक्षसों को मारनेवाले ।

109.अक्षघ्न: -अक्षकुमार को मारनेवाले ।

110.रामदूत: -भगवान श्री रामचंद्र के दूत ।

111.शाकिनी जीवहारक: – शाकिनी का प्राण हरण करनेवाले ।

112.बुबुकारहताराति: – बुबुकार-ध्वनि से शत्रुका नाश करनेवाले ।

113.गर्वपर्वत प्रमर्दन: -गर्वरूपी पर्वत्को चूर-चूर करनेवाले ।

114.हेतु: – कारणरूप ।

115.अहेतु: – कारणरहित ।

116.प्रांशु: – बहुत उन्नत ।

117.विश्वभर्ता: – विश्व का भरण पोषण करनेवाले ।

118.जगद्गुरु: – सारे संसार के गुरु ।

119.जगन्नेता: – संसार के नेता ।

120.जगन्नाथ: – संसार के स्वामी ।

121.जगदीश: – जगत् के ईश ।

122.जनेश्वर: – भक्तों के ईश्वर ।

123.जगद्धित: – संसार का हित करनेवाले ।

124.हरि: – पापों को हरनेवाले ।

125.श्रीश: – शोभा के स्वामी।

126.गरुडस्मय भञ्जन: – गरुड़ के गर्व को नष्ट करनेवाले ।

127.पार्थध्वज: – अर्जुन के ध्वज चिन्ह ।

128.वायुपुत्र: – वायु के पुत्र ।

129.अमितपुच्छ: – अपरिमित पूँछवाले ।

130.अमित विक्रम: – असीम पराक्रम वाले ।

131.ब्रह्मपुच्छ: – जिनकी पूँछ वर्द्धनशील है ।

132.परब्रह्मपुच्छ: – जिनका परब्रह्म आधार है ।

133.रामेष्टकारक: – जो श्रीरामके अभीष्ट कार्य को सिद्ध करते हैं ।

134.सुग्रीवादियुतो: – सुग्रीवादि वानरों से युक्त ।

135.ज्ञानी: – ज्ञान सम्पन्न ।

136.वानर: – वनमें रहनेवालों की रक्षा करनेवाले ।

137.वानरेश्वर: -वानरों के स्वामी ।

138.कल्पस्थायी: – कल्पपर्यंत रहनेवाले ।

139.चिरञ्जीवी: – चिरकालतक जीवित रहने वाले ।

140.तपन:- सुर्य सदृश तेजस्वी ।

141.सदाशिव: – सदा कल्याणस्वरूप ।

142.सन्नत: – विद्या के दवारा जो सम्यक् रूप से विनयानवत हैं ।

143.सद्गति: – संतों की गति हैं ।

144.भुक्तिमुक्तिद: – भुक्ति और मुक्ति को देनेवाले।

145.कीर्तिदायक: – कीर्तिप्रदान करनेवाले ।

146.कीर्ति: – कीर्तिस्वरूप ।

147.कीर्तिप्रद: – यशस्वी बनानेवाले ।

148.समुद्र: – जो श्रीराम की मुद्रा या मुद्रिका साथ लिये हुए हैं ।

149.श्रीपद: – बुद्धि या ऐश्वर्य प्रदान करनेवाले ।

150.शिव: – संसार का उच्छेद करनेवाले ।

151.भक्तोदय: – भक्त के लिये प्रकट होनेवाले ।

152.भक्तगम्य: – भक्त द्वारा प्राप्त होनेवाले ।

153.भक्तभाग्यप्रदायक: -भक्त के लिये भाग्य प्रदायक ।

154.उदधिक्रमण:- समुद्र लाँघने वाले ।

155.देव:- देवस्वरूप ।

156.संसारभयनाशन: – संसार का भयनाश करनेवाले ।

157.वार्धिबन्धनकृद्: – समुद्र पर सेतु बाँधनेवाले।

158.विश्वजेता: – विश्व को जीतनेवाले ।

159.विश्वप्रतिष्ठित: – विश्व में प्रतिष्ठित ।

160.लङ्कारि: – लंकाके शत्रु ।

161.कालपुरुष: – कालरूपी पुरुष।

162.लङ्केशगृह भञ्जन: – रावण के महलों को नष्ट करनेवाले ।

163.भूतावास: भूतों के आवास – स्थल हैं ।

164.वासुदेव: – विश्व में व्यापक ।

165.वसु: – वसुस्वरूप ।

166.त्रिभुवनेश्वर: – त्रिभुवन के स्वामी ।

167.श्रीरामस्वरूप: – जो श्री राम तुल्य हैं ।

168.कृष्ण:- चित्त को आकर्षित करनेवाले ।

169.लङ्काप्रासादभञ्जन: – लंका के राक्षसों के महलों का विध्वंस करनेवाले ।

170.कृष्ण: – कृष्णस्वरूप ।

171.कृष्णस्तुत: – कृष्ण के दवारा स्तुति किये गये ।

172.शान्त: – शांतस्वरूप ।

173.शान्तिपद: – शांति प्रदान करनेवाले ।

174.विश्वपावन: – विश्व को पवित्र करनेवाले ।

175.विश्वभोक्ता: – सारे भोग्य पदार्थों के भोक्ता ।

176.मारघ्न:- कामदेव का हनन करनेवाले ।

177.ब्रह्मचारी: – आजन्म ब्रह्मचारी ।

178.जितेन्द्रिय: – जिन्होंने इन्द्रियों को जीत लिया है ।

179.ऊर्ध्वग: – आकाश-मार्ग से गमन करनेवाले ।

180.लाङ्गुली: – बड़ी पूँछवाले ।

181.माली: – मालावाले ।

182.लाङ्गूलाहत राक्षस: – पूँछ से राक्षसों को मार डालनेवाले ।

183.समीरतनुज: – वायुदेवता के पुत्र ।

184.वीर: – शौर्यशाली ।

185.वीरतार: – वीर शत्रुओं को मारकर तारनेवाले ।

186.जयप्रद: – जय प्रदान करनेवाले ।

187.जगन्मङ्गलद: – जगत् को मङ्गल प्रदान करनेवाले ।

188.पुण्य: – भगवन्नाम- संकीर्तन से विश्वको पवित्र करनेवाले

189.पुण्यश्रवण कीर्तन: – जिनकी कथाओं का श्रवण – कीर्तन पुण्य प्रद है ।

190.पुण्यकीर्ति: – जिनका यशोगान पुण्यप्रद है।

191.पुण्यगति: – जिनकी उपासना पुण्य का फल है ।

192.जगत्पावनापावन: – जो जगत् को पवित्र करनेवालोंको पावन बनाते हैं ।

193.देवेश: – देवताओं के स्वामी ।

194.जितमार:- कामदेव को जीतनेवाले ।

195.रामभक्ति विधायक: – श्रीराम भक्ति का विधान करनेवाले ।

196.ध्याता: – रात- दिन श्रीराम का ध्यान करनेवाले ।

197.ध्येय: – मुनियों के द्वारा ध्येय ।

198.लय: – अपनेमें अखिल चराचर को विलीन करनेवाले ।

199.साक्षी: – सर्वद्रष्टा ।

200.चेता: – सर्वज्ञ ।

हनुमान जी के 1008 नाम हिंदी में

201.चैतन्य विग्रह: – चिन्मय शरीर वाले ।

202.ज्ञानद: – ब्रह्मज्ञान के दाता ।

203.प्राणद: -प्राण (बल) प्रदान करनेवाले ।

204.प्राण: – जिससे प्राणी प्राणवाले हैं , अर्थात् प्राणस्वरूप ।

205.जगत्प्राण: – जगत् के प्राण ।

206.समीरण: – वायुरूप ।

207.विभीषणप्रिय: – विभीषण के प्यारे ।

208.शूर: – शत्रुओं को रण में सुलानेवाले ।

209.पिप्पलाश्रय सिद्धिद: – ( आनन्दरामायण के मनोहरकाण्डके अनुसार ) अश्वत्थ को गृह मानकर साधना करनेवाले साधक को सारी सिद्धियों प्रदान करनेवाले ।

210.सिद्ध: -सिद्ध स्वरूप ।

211.सिद्धाश्रय: – सिद्धों के आश्रय ।

212.काल: – यमरूप ।

213.महोक्ष: – महान् धर्मरूपी बैलवाले 214.कालाजान्तक: – काल से उत्पन्न जरा- व्याधि आदि दोषों का अन्त करनेवाले ।

215.लङ्केशनिधनस्थायी: – रावण के विनाश के लिये स्थिरचित्त ।

216.लङ्कादाहक: – लंका को जलानेवाले ।

217.ईश्वर: – त्रिलोकी में परम ऐश्वर्यशाली ।

218.चन्द्रसूर्यग्निनेत्र: – चंद्र,सूर्य और अग्निरूप तीन नेत्रोंवाले शिवस्वरूप ।

219.कालाग्नि:- मृत्युकारी अग्निरूप ।

220.प्रलयान्तक: – प्रलय का अंत करनेवाले अर्थात् भक्तों को जन्म-मृत्यु से रहित करनेवाले।

221.कपिल: – काले- पीले वर्ण के रोम से युक्त ।

222.कपिश: – श्याम-पीतवर्ण मिश्रित कपिशवर्ण ।

223.पुण्य राशि: – पुण्यकी राशि ।

224.द्वादशराशिग: – द्वादश राशियों के ज्ञाता अर्थात् ज्योतिषशास्त्र के जाननेवाले ।

225.सर्वाश्रय: – सबके आश्रय स्थान ।

226.अप्रमेयात्मा: – अनुपम शरीरवाले ।

227.रेवत्यादिनिवारक: – रेवती-पूतना आदि ग्रह- दोषों का निवारण करनेवाले ।

228.लक्ष्मण प्राणदाता: – संजीवनी द्वारा लक्ष्मणा जी को प्राण देनेवाले ।

229.सीताजीवन हेतुक: – श्री जानकी जी को श्रीराम का संदेश देकर जीवन प्रदान करनेवाले ।

230.रामध्येय: – श्री राम जिनका ध्यान-स्मरण करते हैं ।

231.हृषिकेश: – इन्द्रियों के स्वामी ।

232.विष्णुभक्त: – विष्णुके भक्त ।

233.जटी: – जटावाले ।

234.बली – बलशाली ।

235.देवारिदर्पहा: – देवशत्रुओंके दर्प को नष्ट करनेवाले ।

236.होता – भगवद्भक्तिका अनुष्ठान करनेवाले ।

237.धाता: – जगत् को धारण करनेवाले ।

238.कर्ता: – जगत् को बनानेवाले ।

239.जगत्प्रभु: – जगत् के स्वामी ।

240.नगरग्रामपाल: – नगर और ग्रामवासियों की रक्षा करने वाले ।

241.शुद्ध: – शुद्धस्वरूप ।

242.बुद्ध: – ज्ञान स्वरूप ।

243.निरत्रप: – सलज्ज ।

244.निरञ्जन: -अज्ञान या माया से रहित ।

245.निर्विकल्प: – विकल्परहित ।

246.गुणातीत: – सत्त्वादि गुणों से रहित ।

247.भयङ्कर: – दुष्टों के लिये विकराल स्वरूपवाले ।

248.हनुमान् – श्री राम के अनुचर ।

249.दुराराध्य: – अभक्तों के लिये कष्ट से आराधनीय ।

250.तपःसाध्य: – तप के द्वारा साध्य ।

251.महेश्वर: – महान् ईश्वर ।

252.जानकीधनशोकोत्थतापहर्ता: – जानकीधन अर्थात् श्रीराम के शोक से उत्पन्न संताप को हरने वाले ।

253.परात्पर: – जो अव्यक्त से भी परे हैं ।

254.वाङ्मय: – वेदशास्त्र- सरस्वतीस्वरूप ।

255.सदसद्रूप: – सत् और असत् स्वरूप ।

256.कारणम्: – संसार के अभिन्न निमित्तोपादन कारण ।

257.प्रकृतेः पर: – जो त्रिगुणात्मिका प्रकृति से परे हैं ।

258.भाग्यद: – कर्मजन्य शुभाशुभ फलों को देनेवाले ।

259.निर्मल: – मल अर्थात् दोष से रहित ।

260.नेता: – मार्गदर्शक ।

261.पुच्छलङ्काविदाहक: – पुच्छ से लंकाको जलानेवाले ।

262.पुच्छबद्धयातुधान: -पुच्छ से राक्षसों को बाँधनेवाले ।

263.यातुधानरिपुप्रिय: – राक्षसों के शत्रु श्रीराम के प्रिय ।

264.छायापहारी: – छायानाम की राक्षसीको मारनेवाले।

265.भूतेश:- भूतों के स्वामी ।

266.लोकेश: – लोकों के स्वामी ।

267.सद्गतिप्रद: – संतों को सद्गति प्रदान करनेवाले ।

268.प्लवङ्गमेश्वर: – वानरों के स्वामी ।

269.क्रोध: – शत्रुओं के लिए क्रोधस्वरूप ।

270.क्रोध संरक्तलोचन: – युद्धकाल में क्रोध से लाल नेत्रवाले ।

271.सौम्य:- सौम्यस्वरूप ।

272.गुरु: – अज्ञान दूर करके परमात्मदर्शन करानेवाले ।

273.काव्यकर्ता: – कव्य-रचना करनेवाले।

274.भक्तानां वरप्रद: – भक्तों को अभीष्ट वर प्रदान करनेवाले ।

275.भक्तानुकम्पी: – भक्तों पर अनुकम्पा करनेवाले ।

276.विश्वेश: – विश्वके संचालक ।

277.पुरुहूत: – बहुत बार लोग जिनको पुकारते हैं ।

278.पुरन्दर: – शत्रुके नगरों को ध्वस्त करनेवाले ।

279.क्रोधहर्ता: – क्रोध को हरनेवाले ।

280.तमोहर्ता: – अज्ञानान्धकार को दूर करनेवाले ।

281.भक्ताभयवरप्रद: – भक्तों को अभय वर प्रदान करनेवाले ।

282.अग्नि: – अग्निस्वरूप ।

283.विभावसु: – दिव्य तेज:स्वरूप्।

284.भास्वान्: – प्रकाशयुक्त ।

285.यम: – संयमस्वरूप ।

286.निर्ॠति: – नैर्ऋतगणके स्वामी ।

287.वरुण: – जल के देवता वरुणस्वरूप।

288.वायुगतिमान् : – वायुके समान गतिशील ।

289.वायु: – वायुपुत्र होने के कारण वायुस्वरूप ।

290.कौबेर ईश्वर: – कुबेर-सम्बन्धी धन के मालिक ।

291.रवि: – सुर्यस्वरूप ।

292.चन्द्र: – जगत् को आह्लादित करनेवाले चंद्रस्वरूप ।

293.कुज: – मंगल ग्रहस्वरूप ।

294.सौम्य: – बुधग्रहस्वरूप ।

295.गुरु: – बृहस्पतिग्रहस्वरूप ।

296.काव्य: – शुक्रग्रहस्वरूप ।

297.शनैश्चर: – शनिग्रहस्वरूप ।

298.राहु: – राहुग्रहस्वरूप ।

299.केतु: – केतुग्रहस्वरूप ।

300.मरुत्: – वायुस्वरूप ।

301.होता: – हवन करनेवाले ।

302.दाता: – भक्तों के भव-बंधन को काटनेवाले ।

303.हर्ता: – भक्तोंकी ममताको हरनेवाले ।

304.समीरज: – पवन देवता के पुत्र ।

305.मशकीकृतदेवारि: – देवताओं के शत्रुओं को मच्छरके समान समझनेवाले ।

306.दैत्यारि: – दैत्यों के शत्रु ।

307.मधुसूदन: – भक्तोंके अशुभ कर्मोंका विनाश करनेवाले ।

308.काम: – श्रीराम भक्तिकी कामना करनेवाले ।

309.कपि: – जल से पृथ्वीकी रक्षा करनेवाले ।

310.कामपाल: – वीर्यरक्षक अर्थात् ब्रह्मचर्यका पालन करनेवाले ।

311.कपिल: – कपिलमुनिस्वरूप ।

312.विश्वजीवन: – विश्व के जीवन ।

313.भागीरथीपदाम्भोज: – जिनके चरणकमल भागीरथीके समान पवित्र करनेवाले हैं ।

314.सेतुबन्धविशारद: – सेतु बांधने में चतुर ।

315.स्वाहा: – स्वाहास्वरूप ।

316.स्वधा: – स्वधा स्वरूप

317.हवि: – हवि:स्वरूप ।

318.कव्यम्: – पितरों को दिये जाने वाले अन्नादि रूप ।

319.हव्यवाहप्रकाशक: – देवताओंके लिये हव्य वहन करने वाले अग्नि के समान प्रकाशक ।

320.स्वप्रकाश: – स्वयं प्रकाशस्वरूप ।

321.महावीर: – बड़े बलवान ।

322.लघु: – लघु रूप धारण करनेवाले ।

323.ऊर्जित:विक्रम: – सुदृढ़ा पराक्रमवाले ।

324.उड्डीनोड्डीनगतिमान्: – आकाशमें उड़नेवालों में तीव्रगतिशाली ।

325.सद्गति: – सम्यक रीतिसे चलनेवाले।

326.पुरुषोत्तम्: – पुरुषों में श्रेष्ठ ।

327.जगदात्मा: – जगत् – सवरूप ।

328.जगद्योनि: – जगत् के कारण ।

329.जगदन्त: – जगत् का अन्त करनेवाले ।

330.अनन्तक: – जिनके अनन्त गुण हैं ।

331.विपाप्मा: – पापरहित ।

332.निष्कलङ्क: – कलङ्करहित ।

333.महान्: – महत्तत्त्वस्वरूप ।

334.महदहङ्कृति: – महां अहंकारतत्वस्वरूप ।

335.खं: – आकाशतत्वस्वरूप ।

336.वायु: – वायुतत्वस्वरूप ।

337.पृथ्वी: – पृथ्वीतत्वस्वरूप ।

338.आप: – जलतत्वस्वरूप ।

339.वह्नि: – अग्नितत्वस्वरूप ।

340.दिक्पाल: – दिशाओंका पालन करनेवाले ।

341.क्षेत्रज्ञ: – क्षेत्रके ज्ञाता ।

342.क्षेत्रहर्ता: – क्षेत्र का हरण करनेवाले ।

343.पल्वलीकृतसागर: – सागर को लघु जलाशयरूप मानकर सरलतासे पार करनेवाले ।

344.हिरण्मय: – स्वर्ण के समान कांतिवाले ।

345.पुराण: – पुराणपुरुष ।

346.खेचर: – आकाश में विचरण करनेवाले।

347.भूचर: – पृथ्वीपर घूमनेवाले ।

348.अमर: – न मरनेवाले ।

349.हिरण्यगर्भ: – विश्वको उत्पन्न करनेवाले ब्रह्मास्वरूप ।

350.सूत्रात्मा: – सर्वव्यापक ।

351.विशाम्पति: राजराज: – मनुष्योंका पालन करनेवाले राजाधिराज ।

352.वेदान्तवेद्य: – वेदान्त शास्त्रद्वारा जानने योग्य ।

353.उद्गीथ: – ॐकारस्वरूप ।

354.वेदवेदाङ्ग पारग: – चारों वेदों और छहों वेदाङ्गों में पारंगत ।

355.प्रतिग्राम स्थिति: – प्रत्येक गाँव में स्थित रहनेवाले ।

356.सद्यः स्फूर्तिदाता: – तत्काल स्फूर्ति प्रदान करनेवाले ।

357.गुणाकार: – गुणोंकी खान ।

358.नक्षत्रमाली: – सत्ताईस नक्षत्रोंकी मालावाले ।

359.भूतात्मा: – प्राणियों की आत्मा ।

360.सुरभि: – कामधेनुस्वरूप ।

361.कल्पपादप: – भक्तों का मनोरथ पूर्ण करनेवाले कल्पवृक्षस्वरूप ।

362.चिन्तामणि: – चिंतामणिस्वरूप ।

363.गुणनिधि: – गुणोंकी खानि ।

364.प्रजाधार: – प्रजा के आधारभूत ।

365.अनुत्तम: – जिनसे उत्तम कोई नहीं है अर्थात् सर्वश्रेष्ठ ।

366.पुण्यश्लोक: – पुण्यकीर्तिवाले ।

367.पुराराति: – पुरनामक राक्षस के शत्रु शिवस्वरूप ।

368.ज्योतिष्मान्: – ज्योति:स्वरूप ।

369.शर्वरीपति: – चन्द्रस्वरूप ।

370.किल्किलाराव सन्त्रस्त भूत प्रेत पिशाच: – किल-किल शब्दसे भूत-प्रेत- पिशाचादिको संत्रस्त करनेवाले ।

371.ऋणत्रयहर: – भक्तोंके तीनों ऋणों को हरनेवाले ।

372.सूक्ष्म: – सूक्ष्मस्वरूप ।

373.स्थूल: – स्थूलस्वरूप ।

374.सर्वगति: – सर्वत्र गतिवाले ।

375.पुमान्: – पुरुषार्थी ।

376.अपस्मारहर: – अपस्मार (मिरगीरोग ) को हरने वाले ।

377.स्मर्ता: – भगवान् का स्मरण करनेवाले ।

378.श्रुति: – वेदस्वरूप ।

379.गाथा: – स्तोत्रस्वरूप ।

380.स्मृति: – स्मृतिस्वरूप ।

381.मनु: – मंत्रस्वरूप ।

382.स्वर्गद्वारम्: – स्वर्ग के द्वारस्वरूप ।

383.प्रजाद्वार: – प्रजा अर्थात् संतति प्रदान करनेवाले ।

384.मोक्षद्वार: – मोक्ष प्रदान करनेवाले ।

385.यतीश्वर: – सन्यम करनेवालों में अतिश्रेष्ठ ।

386.नादरूप: – नाद-ब्रह्मस्वरूप ।

387.परम: – मोक्षस्वरूप।

388.परब्रह्म: – परब्रह्मस्वरूप

389.ब्रह्म: – सर्वव्यापक ।

390.ब्रह्मपुरातन: – आदिकारणरूप पुरातन ब्रह्म ।

391.एक: – अद्वितीय ।

392.अनेक: – अनेकरूप ।

393.जन: – भक्तस्वरूप ।

394.शुक्ल: – शुक्लस्वरूप ।

395.स्वयं ज्योति: – स्वयं प्रकाशस्वरूप ।

396.अनाकुल: – व्याकुल न होनेवाले ।

397.ज्योति: – प्रकाशस्वरूप ।

398.अनादिर्ज्योति: – सब प्रकारकी ज्योतिके मूलभूत अनादि ज्योति ।

399.सात्त्विक: – सात्त्विक रूपमें पालनकर्ता ।

400.राजस: – राजसरूप में उत्पन्न करनेवाले ।

Hanuman Sahasranamam in Hindi

401.तम: – तमोरूप में संहारकर्ता ।

402.तमोहर्ता: – तमोगुणका नाश करनेवाले ।

403.निरालम्ब: – आश्रयरहित ।

404.निराकार: – आकाररहित ।

405.गुणाकार: – गुणोंकी खानि

406.गुणाश्रय: – तीनों गुणोंके आश्रय ।

407.गुणमय: – सद्गुणोंसे सम्पन्न ।

408.बृहत्कर्मा: – महान् कार्य करनेवाले ।

409.बृहद्यशा: – विस्तीर्ण कीर्तिवाले ।

410.बृहद्धनु: – बड़ी ठुड्डीवाले ।

411.बृहत्पाद: – लम्बी टाँगोंवाले ।

412.बृहन्मूर्धा: – बड़े मस्तकवाले ।

413.बृहत्स्वन: – बड़ा शब्द करनेवाले ।

414.बृहत्कर्ण: – बड़े कानवाले ।

415.बृहन्नास: – लम्बी नासिकावाले ।

416.बृहद्बाहु: – लम्बी भुजावाले ।

417.बृहत्तनु: -विशाल देहधारी ।

418.बृहज्जानु: – बड़े घुटनोंवाले ।

419.बृहत्कार्य: – महान् कार्य करनेवाले ।

420.बृहत्पुच्छ: – लम्बी पूँछवाले ।

421.बृहत्कर: – लम्बे हाथोंवाले ।

422.बृहद्गति: – तीव्र गतिवाले ।

423.बृहत्सेव्य: – महापुरुषों के द्वारा सेव्य ।

424.बृहल्लोक फलप्रद: – सम्पूर्ण लोकरूप फल देनेवाले ।

425.बृहच्छक्ति: – महान् शक्तिशाली ।

426.बृहद्वाञ्छाफलद: – बड़ी-बड़ी इच्छाओं को पूर्ण करनेवाले ।

427.बृहदीश्वर: – महान् सामर्थ्यवान ।

428.बृहल्लोकनुत: – असंख्य लोगोंके द्वारा नमस्कृत ।

429.द्रष्टा: – शुभाशुभ कर्मों को देखनेवाले ।

430.विद्यादाता: – विद्या प्रदान करनेवाले ।

431.जगद्गुरु: – जगत् को सन्मार्ग में लगानेवाले गुरु ।

432.देवाचार्य: – देवताओं के आचार्य ।

433.सत्यवादी: – सत्य बोलनेवाले ।

434.ब्रह्मवादी: – ब्रह्म (परमात्म ) – विषयक विवेचन करनेवाले ।

435.कलाधर: – कलाओं के ज्ञाता ।

436.सप्तपातालगामी: – सातों पातालोंमें विचरण करनेवाले ।

437.मलयाचल संश्रय: – मलयगिरिपर निवास करनेवाले ।

438.उत्तराशास्थित: – उत्तर दिशा में स्थित ।

439.श्रीद: – शोभा ( ऐश्वर्य ) प्रदान करनेवाले ।

440.दिव्यौषधिवश: – दिव्य औषधियों को वशीभूत करनेवाले ।

441.खग: – नभोमण्डल में विचरण करनेवाले ।

442.शाखामृग: – शाखाओं पर कूदनेवाले ।

443.कपीन्द्र: – वानरों के अधिपति ।

444.पुराण श्रुतिचञ्चुर: – श्रुति और पुराण की विशेष जानकारी रखनेवाले ।

445.चतुर ब्राह्मण: – निपुण ब्राह्मणस्वरूप ।

446.योगी: – योगसिद्ध ।

447.योगगम्य: – योगाभ्यास के द्वारा प्राप्त होनेवाले ।

448.परावर: – विश्व के आदि और अंतस्वरूप ।

449.अनादिनिधन: – आदि-अंत से रहित ।

450.व्यास: – वेदों का विस्तार करनेवाले ।

451.वैकुण्ठ: – माया के प्रभाव से रहित 452.पृथिवीपति: – भूलोक के रक्षक ।

453.अपराजित: – शत्रुओं के द्वारा अजेय ।

454.जिताराति: – शत्रुओं को जीतनेवाले ।

455.सदानन्द: – सदा आनंदित रहनेवाले ।

456.दयायुत: – दयालु ।

457.गोपाल: – पृथ्वीका पालन करनेवाले ।

458.गोपति: – इन्द्रियों के स्वामी ।

459.गोप्ता: – भक्तों के रक्षक ।

460.कलिकाल पराशर: – कलिकाल के पराशर अर्थात् कथा वाचकों के उत्पादक ।

461.मनोवेगी: – मन के समान वेगवाले ।

462.सदायोगी: – सदा योगयुक्त रहनेवाले ।

463.संसार भय नाशन: – भवभय का नाश करनेवाले ।

464.तत्त्वदाता: – तत्वज्ञान के दाता ।

465.तत्त्वज्ञ: – तत्वज्ञानी ।

466.तत्त्वम्: – ब्रह्मस्वरूप ।

467.तत्त्व प्रकाश: – तत्व का प्रकाश करनेवाले ।

468.शुद्ध: – सबको पवित्र करनेवाले ।

469.बुद्ध: – ज्ञानवान् ।

470.नित्यमुक्त: – सदा मुक्तस्वरूप ।

471.भक्तराज: – भगवद्भक्तों में देदीप्यमान ।

472.जयद्रथ: – आक्रमण में जय प्राप्त करनेवाले ।

473.प्रलय: – शत्रुओं के लिये प्रलयंकर ।

474.अमितमाय: – अनंत माया जाननेवाले ।

475.मायातीत: – सर्वथा मायाजाल से रहित ।

476.विमत्सर: – ईर्ष्या से रहित्।

477.माया भर्जितरक्ष: – अपनी माया से राक्षसों को भून डालनेवाले ।

478.मायानिर्मित विष्टप: – माया से भुवनों की सृष्टि करनेवाले ।

479.मायाश्रय: – माया का आश्रय लेनेवाले ।

480.निर्लेप: – निरासक्त रहनेवाले ।

481.मायानिर्वर्तक: – माया शक्ति द्वारा कार्य सम्पन्न करनेवाले ।

482.सुखम्: – सुखस्वरूप।

483.सुखी: – सदा सुख से रहनेवाले ।

484.सुखप्रद: – सुख प्रदान करनेवाले ।

485.नाग: – नागस्वरूप ।

486.महेशकृतसंस्तव: – शंकरजी के द्वारा स्तुत ।

487.महेश्वर: – महान् ऐश्वर्यशाली ।

488.सत्यसन्ध: – सत्यवादी ।

489.शरभ: – शरभ नामक पशु के समान महान् बलशाली ।

490.कलिपावन: – कलियुग को पवित्र करनेवाले ।

491.सहस्रकन्धर बलविध्वंसन विचक्षण: – हजारों सिरवाले रावण के बल को विध्वंस करने में चतुर ।

492.सहस्रबाहु: – हजारों भुजाबाले ।

493.सहज: – सहज स्थितिस्वरूप।

494.द्विबाहु: – दो बाहुवाले ।

495.द्विभुज: – दो भुजाओंवाले ।

496. अमर: – अविनाशी।

497.चतुर्भुज: – चार भुजावाले ।

498.दशभुज: – दस भुजावाले ।

499.हयग्रीव: – अश्व के समान गर्दंवाले ।

500.खगानन: – गरुड़के समान मुखवाले ।

501.कपिवक्त्र: – कपि-सदृश मुखवाले ।

502.कपिपति: – वानरों की रक्षा करनेवाले ।

503.नरसिंह: – नरसिन्ह के समान विकराल रूप धारण करनेवाले ।

504. महाद्युति: – अत्यंत तेजस्वी ।

505.भीषण: – युद्ध में भयंकररूप ।

506.भावग: – भगवद्भाव को प्राप्त।

507.वन्द्य: – वंदना करने योग्य ।

508.वराह: – वराह – मुखवाले ।

509.वायुरूपधृक्: – वायु का रूप धारण करनेवाले ।

510.लक्ष्मण प्राणदाता: – लक्ष्मण को ( संजीवनी लाकर ) जिलानेवाले ।

511.पराजित दशानन: – दशानन (रावण ) – को पराजित करनेवाले ।

512.पारिजात निवासी: – पारिजात वृक्ष के नीचे निवास करनेवाले ।

513.वटु: – ब्रह्मचारीस्वरूप

514.वचन कोविद: – बोलने में अति चतुर ।

515.सुरसास्यविनिर्मुक्त: – सुरसा के मुख से सुखपूर्वक निकल आनेवाले ।

516.सिंहिका प्राणहारक: – सिंहि का राक्षसी का प्राण हरनेवाले ।

517.लङ्कालङ्कारविध्वंसी: – लंका की शोभा को नष्ट करनेवाले ।

518.वृषदंशकरूपधृक्: – वृषदंशक अर्थात् विडाल का रूप धारण करनेवाले ।

519.रात्रिसंचार कुशल: – रात में घूमने में चतुर ।

520.रात्रिंचरगृहाग्निद: – राक्षसों के घरों में आग लगानेवाले ।

521.किङ्करान्तकर: – रावण के सेवकों को मार डालनेवाले ।

522.जम्बुमालिहक्ता: – जम्बुमाली राक्षस को मारनेवाले ।

523.उग्ररूपधृक्: – उग्ररूप धारण करनेवाले ।

524.आकाशचारी: – आकाश में विचरण करनेवाले ।

525.हरिग: – प्रभु को प्राप्त करनेवाले ।

526.मेघनादरणोत्सुक: – मेघनाद के साथ युद्ध करने के लिये उत्कण्ठित ।

527.मेघगम्भीरनिनदो: – बादल के समान गम्भीर शब्द करनेवाले ।

528.महारावणकुलान्तक: ‌- महारावण के कुल को नष्ट करनेवाले ।

529.कालनेमिप्राणहारी: – कालनेमि राक्षस का प्राण हरनेवाले ।

530.मकरीशापमोक्षद: – मकरी को शाप से मुक्त करनवाले ।

531.रस: – रसस्वरूप ।

532.रसज्ञ: – रस को जाननेवाले।

533.सम्मान: – प्रभुका सम्यक् सम्मान करनेवाले ।

534.रूपम् – रूप स्वरूप ।

535.चक्षु: – चक्षुस्वरूप ।

536.श्रुति: – श्रवणस्वरूप ।

537.वच: – वाणीस्वरूप ।

538.घ्राण: – नासिकास्वरूप ।

539.गन्ध: – गंधरूप ।

540.स्पर्शनम्: – स्पर्शरूप ।

541.स्पर्श: – सम्पर्क- ज्ञानस्वरूप ।

542.अहङ्कारमानग: – अहंकार के स्वरूप को प्राप्त होनेवाले ।

543.नेतिनेतीतिगम्य: – नेति-नेति शब्दों द्वारा गम्य ।

544.वैकुण्ठ भजन प्रिय: – भगवान् के भजन में प्रीति रखनेवाले ।

545.गिरीश: – पर्वतों के ईश ।

546.गिरिजाकान्त: – माता पार्वती के प्रिय शंकरस्वरूप ।

547.दुर्वासा: – दुर्वासा मुनिस्वरूप ।

548.कवि: – कविस्वरूप ।

549.अङ्गिरा: – अङ्गिरा मुनिरूप ।

550.भृगु: – भृगु मुनिस्वरूप ।

551.वसिष्ठ: – वशिष्ठ्मुनिस्वरूप ।

552.च्यवन: -च्यवन ऋषिस्वरूप ।

553.नारद: – नारदमुनिस्वरूप ।

554.तुम्बर: – तुम्बरु गंधर्वस्वरूप ।

555.अमल: – दोषरहित ।

556.विश्वक्षेत्र: – विश्वक्षेत्रस्वरूप।

557.विश्वबीज: – विश्वबीज अर्थात् कारणस्वरूप ।

558.विश्वनेत्र: – सर्वद्रष्टा ।

559.विश्वप: – विश्वके पालक ।

560.याजक: – यज्ञकर्मा ।

561.यजमान: – प्रधान होतारूप ।

562.पावक: – अग्निरूप ।

563.पितर: – जगत् के माता पिता ।

564.श्रद्धा: – श्रद्धास्वरूप ।

565.बुद्धि: – बुद्धिस्वरूप ।

566.क्षमा: – क्षमास्वरूप ।

567.तन्द्रा: – तंद्रारूप ।

568.मन्त्र: – मंत्रस्वरूप ।

569.मन्त्रयिता : – शुभ मंत्र देनेवाले ।

570.सुर: – देवस्वरूप ।

571.राजेन्द्र: – राजाओं में श्रेष्ठ ।

572.भूपती: – पृथ्वी के पालक ।

573.रुण्डमाली: – रुण्डों के मालावाले ।

574.संसार सारथि: – भक्तों को भवसिन्धु पार करने में सहायक ।

575.नित्य सम्पूर्ण काम: – सदा सभी कामनाओं से तृप्त ।

576.भक्त कामधुक्: – भक्तों की कामनाओं के दोग्धा ।

577.उत्तम: – श्रेष्ठ ।

578.गणप: – वानरगणों के पालक ।

579.केशव: – घुँघराले केशवाले ।

580.भ्राता: – भ्रातृस्वरूप ।

581.पिता: – पितारूप ।

582.माता: – वात्सल्यमयी मातारूप ।

583.मारुति: – पवनदेवता के पुत्र ।

584.सहस्रमूर्द्धा: – हजारों सिरवाले ।

585.अनेकास्य: – अनेक मुखवाले ।

586.सहस्राक्ष: – सहस्त्रों नेत्रवाले ।

587.सहस्रपात्: – सहस्त्रों पैरवाले ।

588.कामजित्: – कामदेव को जीतनेवाले ।

589.कामदहन: – काम को जलानेवाले ।

590.काम: – सौन्दर्यशाली ।

591.कामफलप्रद: – कामनाओं को पूर्ण करनेवाले ।

592.मुद्रापहारी: – श्रीराम मुद्रिका को ले जानेवाले ।

593.रक्षोघ्न: – राक्षसों का नाशकरनेवाले ।

594.क्षिति भारहा: – पृथ्वी का भार उतारनेवाले ।

595.बल: – शत्रु- सन्हारक ।

596.नखदंष्ट्रायुध: – नख और दंष्ट्रारूप शस्त्र धारण करनेवाले ।

597.विष्णु: – व्यापकस्वरूप ।

598.भक्ताभय वरप्रद: – भक्त को अभय वर प्रदान करनेवाले ।

599.दर्पहा: – दर्प का नाश करनेवाले ।

600.दर्पद: – उत्साह प्रदान करनेवाले ।

601.दंष्ट्रा: शत मूर्ति: – सौ दंष्ट्राओं से युक्त मुर्तिवाले ।

602.अमूर्तिमान्:- मूर्तिरहित अर्थात् निराकारस्वरूप ।

603.महानिधि: – सद्गुणों के महान् भण्डार ।

604.महाभाग: – बड़े भाग्यशाली ।

605.महाभर्ग: – महातेजस्वी ।

606.महार्द्धिद: – महान् ऋषि प्रदान करनेवाले ।

607.महाकार: – बड़े आकारवाले ।

608.महायोगी: – महान् योगी ।

609.महातेजा: – बड़े तेजस्वी ।

610.महाद्युति: -अत्यंत शोभावाले ।

611.महासन: – अत्यंत स्थिर आसनवाले ।

612.महानाद: – बड़ी गर्जना करनेवाले ।

613.महामन्त्र: – उच्चकोटि के मंत्रवाले ।

614.महामति: – महान् बुद्धिवाले ।

615.महागम: – महान् गतिवाले ।

616.महोदार: – बड़े उदार ।

617.महादेवात्मक: – महादेवस्वरूप ।

618.विभु: – सर्वव्यापक ।

619.रौद्रकर्मा: – भयामक कर्म करनेवाले ।

620.क्रूरकर्मा: – कठोर कर्म करनेवाले ।

621.रत्नाभ: – रत्न के समान नाभिवाले ।

622.कृतागम: – शास्त्रकी रचना करनेवाले ।

623.अम्भोधि लङ्घन: – समुद्र लाँघनेवाले ।

624.सिंह: – सिंहस्वरूप ।

625.सत्यधर्म प्रमोदन: – सत्यधर्म का पालन करनेमें प्रसन्न ।

626.जितामित्रो: – शत्रुओं को जीतनेवाले ।

627.जय: – जयस्वरूप ।

628.सोम: – सोमस्वरूप ।

629.विजयी: – पराक्रमी ।

630.वायुनन्दन: – पवनदेवता को आनंदित करनेवाले ।

631.जीवदाता: – प्राणदान करनेवाले ।

632.सहस्रांशु: – सूर्यस्वरूप ।

633.मुकुन्द: – मुक्तिप्रदान करनेवाले ।

634.भूरिदक्षिण: – विपुल दक्षिणा प्रदान करनेवाले ।

635.सिद्धार्थ: – सदासिद्ध प्रयोगवाले ।

636.सिद्धिद: – सिद्धि देनेवाले ।

637.सिद्ध सङ्कल्प: – सिद्ध संकल्पवाले ।

638.सिद्धि हेतुक: – सिद्धियों के कारण ।

639.सप्तपातालचरण: – सप्तपाताल में संचरण करनेवाले ।

640.सप्तर्षिगणवन्दित: – सप्तऋषियों द्वारा वंदित ।

641.सप्ताब्धिलङ्घन: – सातों समुद्रों को लाँघनेवाले ।

642.वीर: – संदेश पहुँचानेवालों में वीर ।

643.सप्तद्वीपोरुमण्डल: – सप्तद्वीप के विशाल मण्डल में विचरण करनेवाले ।

644.सप्ताङ्गराज्यसुखद: – सप्ताङ्ग़युक्त राज्य के लिये सुखद ।

645.सप्तमातृनिषेवित: – सात माताओं द्वारा सेवित ।

646.सप्तस्वर्लोकमुकुट: – सात स्वर्गलोकों के मुकुटमणि ।

647.सप्तहोता: – सामवेद के सात मंत्रों से हवन करनेवाले ।

648.स्वाराश्रय: – स्वरों का आश्रय लेनेवाले अर्थात् संगीत- शास्त्रों में प्रवीण ।

649.सप्तच्छन्दोनिधि: – सात वैदिक छंदों के आश्रय ।

650.सप्तच्छन्द: – सात छन्दस्वरूप ।

651.सप्तजनाश्रय: – सप्तजनों के आश्रयस्वरूप ।

652.सप्तसामोपगीत: – जिनका सामवेद की सात स्वरोंद्वारा गान किया जाता है ।

653.सप्तपाताल संश्रय: – सप्तपाताल के आश्रय ।

654.मेधाद: – मेधा को प्रदान करनेवाले ।

655.कीर्तिद: – यश देनेवाले ।

656.शोकहारी: – शोक हरण करनेवाले ।

657.दौर्भाग्यनाशन: – दुर्भाग्य का नाश करनेवाले ।

658.सर्वरक्षाकर: -चारों ओर से रक्षा करनेवाले ।

659.गर्भदोषहा: – गर्भ-दोष को दूर करनेवाले ।

660.पुत्रपौत्रद: – पुत्र और पौत्र प्रदान करनेवाले ।

661.प्रतिवादिमुखस्तम्भ: – प्रतिवादी के मुख को बंद करनेवाले अर्थात् श्रेष्ठ वक्ता ।

662.रुष्टचित्तप्रसादत: – रूष्टचित्तवालों को प्रसन्न करनेवाले ।

663.पराभिचारशमन: – शत्रु के मारण- मोहन आदि अभिचारों को शमन करनेवाले ।

664.दुःखहा: – दु:खों का नाश करनेवाले ।

665.बन्धमोक्षद:- बंधनसे मुक्त करनेवाले ।

666.नवद्वारापुराधार : – नवद्वारपुर (शरीर ) के आधार ।

667.नवद्वारनिकेतन: – नवद्वारवाले शरीररूपी घर में रहनेवाले आत्म-स्वरूप ।

668.नरनारायण स्तुत्य: – नर और नारायण के द्वारा स्तुत्य ।

669.नवनाथ महेश्वर: – नवनाथों के महेश्वर ।

670.मेखली: – मेखला धारण करनेवाले ।

671.कवची: – कवच धारण करनेवाले ।

672.खंगी: – खड्ग धारण करनेवाले ।

673.भ्राजिष्णु: – देदीप्यमान ।

674.जिष्णुसारथि: – अर्जुन के सारथि अर्थात् ध्वजा में निवास करनेवाले ।

675.बहुयोजनविस्तीर्णपुच्छ: – अनेक योजन लम्बी पूँछवाले ।

676.पुच्छहतासुर: – पूँछसे राक्षसों को मारनेवाले ।

677.दुष्टग्रहनिहन्ता: – दुष्टग्रहों के नाशक ।

678.पिशाचग्रहघातक: – पिशाचग्रह के हन्ता ।

679.बालग्रह विनाशी: – बालग्रहों का विनाश करनेवाले ।

680.धर्मनेता: – धर्म के नेता ।

681.कृपाकार: – कृपा करनेवाले ।

682.उग्रकृत्य: – उग्र कृत्यकर्ता ।

683.उग्रवेग: – भयंकर वेगवान्।

684.उग्रनेत्र: – उग्र नेत्रवाले ।

685.शतक्रतु: – सौ यज्ञ करनेवाले इंद्रस्वरूप ।

686.शतमन्युनुत: – इन्द्रद्वारा स्तुत ।

687.स्तुत्य: – स्तुति करने योग्य ।

688.स्तुति: – स्तुतिस्वरूप ।

689.स्तोता: – स्तुति करनेवाले ।

690.महाबल: – अत्यंत बलशाली।

691.समग्रगुणशाली: – सारे- गुणों से युक्त ।

692.व्यग्र: – सदा उद्यत ।

693.रक्षोविनाशक: – असुरों का विनाश करनेवाले ।

694.रक्षोऽग्निदाह: – राक्षसों को अग्नि में जलादेनेवाले ।

695.ब्रह्मेश: – ब्रह्मा के ऊपर शासन करनेवाले ।

696.श्रीधर: – ऐश्वर्य धारण करनेवाले ।

697.भक्तवत्सल: – भक्तों पर कृपा करनेवाले ।

698.मेघनाद: – मेघ के समान गर्जनेवाले ।

699.मेघरूप: – मेघ के समान रूपवाले ।

700.मेघवृष्टिनिवारक: – मेघ की वृष्टि को रोकनेवाले ।

701.मेघजीवनहेतु: – मेघों के जीवन के हेतु समुद्रस्वरूप ।

702.मेघश्याम: – मेघ के समान श्याम वर्णवाले ।

703.परात्मक: – परमात्मस्वरूप ।

704.समीरतनय: – वायु- देवता के पुत्र ।

705.योद्धा: – शत्रुओं के साथ लड़नेवाले ।

706.नृत्यविद्याविशारद: – नृत्यकला में विशारद ।

707.अमोघ: – कभी व्यर्थ न होनेवाले ।

708.अमोघदृष्टि: – जिनकी कृपादृष्टि कभी व्यर्थ नहीं जाती ।

709.इष्टद: – मनोवाञ्छित वस्तु देनेवाले ।

710.अरिष्टनाशन: – विघ्ननाशक ।

711.अर्थ: – अर्थस्वरूप ।

712.अनर्थापहारी: – अनर्थ को दूर करनेवाले ।

713.समर्थ: – सर्वथा सामर्थ्यवान् ।

714.रामसेवक: – श्रीराम के सेवक ।

715.अर्थिवन्द्य: – अर्थियों के द्वारा वन्दनीय ।

716.असुराराति: – असुरों के शत्रु।

717.पुण्डरीकाक्ष: – श्वेतकमल के समान नेत्रवाले अर्थात् विष्णुस्वरूप ।

718.आत्मभू: – स्वेच्छासे प्रकट होनेवाले ।

719.सङ्कर्षण: – शत्रुओं को कर्षण करनेवाले बलदेवस्वरूप ।

720.विशुद्धात्म: – परम पवित्रस्वरूप ।

721.विद्यारात्रि: – विद्या की राशि – पूर्ण विद्वान ।

722.सुरेश्वर: – देवताओं के स्वामी ।

723.अचलोद्धारको: – अचलों (पर्वतों ) – का उद्धार करनेवाले ।

724.नित्य: – नित्य विद्यमान ।

725.सेतुकृत्: – सेतु बनानेवाले ।

726.रामसारथि: – श्रीराम के वाहन ।

727.आनन्द: – आनंद प्रदान करनेवाले ।

728.परमानन्द: – परमानन्दास्वरूप ।

729.मत्स्य: – मत्स्यस्वरूप ।

730.कूर्म: – कूर्मस्वरूप ।

731.निराश्रय: – आश्रयरहित ।

732.वाराह: – वाराहस्वरूप ।

733.नारसिंह: – नृसिन्हस्वरूप ।

734.वामन: – वामनस्वरूप ।

735.जमदग्निज: – परशुरामस्वरूप ।

736.राम: – श्रीरामस्वरूप ।

737.कृष्ण: – श्रीकृष्णस्वरूप ।

738.शिव: – शिवास्वरूप ।

739.बुद्ध: – बुद्धस्वरूप ।

740.कल्कि: – कल्किस्वरूप

741.रामाश्रय: – श्री राम के आश्रित ।

742.हरि: – जगत् का दु:ख हरनेवाले ।

743.नन्दी: – नन्दीस्वरूप ।

744.भृंगी: – भृङ्गीस्वरूप ।

745.चण्डी: – देवीस्वरूप ।

746.गणेश: – गणपतिरूप ।

747.गणसेवित: – वानरगणोंद्वारा सेवित ।

748.कर्माध्यक्ष: – कर्मों के स्वामी ।

749.सुराध्यक्ष: – देवताओं के अध्यक्ष ।

750.विश्राम: – सब प्राणियों के विश्रामस्थल ।

751.जगतीपति: – पृथ्वी का पालन करनेवाले ।

752.जगन्नाथ: – जगत् के स्वामी ।

753.कपीश: – वानरों के स्वामी ।

754.सर्वावास: – सबके निवासस्थान ।

755.सदाश्रय: – परमार्थपथ पर चलनेवालोंके आश्रय ।

756.सुग्रीवादिस्तुत: – सुग्रीव आदि वानर जिनकी स्तुति करते हैं ।

757.दान्त: – इन्द्रियों को वश में रखनेवाले ।

758.सर्वकर्मा: – कृतकृत्य ।

759.प्लवङ्गम: – वानररूप ।

760.नखदारितरक्षा: – नखों के दवारा राक्षसों को विदीर्ण करनेवाले ।

761.नखयुद्धविशारद: – नखयुद्ध में कुशल ।

762.कुशल: – परम निपुण ।

763.सुधन: – भक्तिरूपी ।

764.शेष: – शेषनागस्वरूप।

765.वासुकि: – वासुकिसर्पस्वरूप ।

766. तक्षक: – तक्षक स्वरूप ।

767.स्वर्णवर्ण: – सोने के समान दीप्तवर्णवाले ।

768.बलाढ्य: – अति शक्तिशाली

769.पुरुजेता: – बहुल विजयी ।

770.अघनाशन: – पाप का नाश करनेवाले ।

771.कैवल्यरूप: – मुक्तिस्वरूप ।

772.कैवल्य: – अद्वयस्वरूप ।

773.गरुड़: – गरुड़रूप ।

774.पन्नगोरग: – लेटे-लेटे चलनेवाले तथा उरसे चलनेवाले अर्थात् हनुमान् जी सब प्रकार से चलनेवाले हैं ।

775.किल्किल् रावहताराति: – किल – किल शब्द से शत्रुओं का नाश करनेवाले ।

776.गर्वपर्वतभेदन: – गर्वरूप पर्वत को काट गिरानेवाले ।

777.वज्राङ्ग: – वज्र शरीर ।

778.वज्रदंष्ट्र: – वज्र के समान दाँतवाले

779.भक्तवज्रनिवारक: – भक्तों के ऊपर गिरते हुए वज्र को रोकनेवाले ।

780.नखायुध: – नख जिनके शस्त्र हैं ।

781.मणिग्रीव: – कण्ठ में मणि धारण करनेवाले ।

782.ज्वालामाली: – लंकादाह के समय अग्नि- ज्वालाकी माला धारण करनेवाले ।

783.भास्कर: – सूर्य के समान प्रकाशस्वरूप ।

784.प्रौढप्रताप: – प्रवृद्ध प्रतापवाले

785.तपन: – सूर्यरूप।

786.भक्तताप निवारक: – भक्तों का संताप दूर करनेवाले ।

787.शरणम्: – शरणागत – रक्षक ।

788.जीवनम्: – सबके जीवनस्वरूप ।

789.भोक्ता: – सबको पालन करनेवाले ।

790.नानाचेष्ट: – अनेक चेष्टावाले ।

791.अचञ्चल: – स्वरूप में अटल रहनेवाले ।

792.स्वस्तिमान्: – कल्याणस्वरूप ।

793.स्वस्तिद: – कल्याण वितरण करनेवाले ।

794.दुःखनाशन: – दु:खों के नाशक ।

795.पवनात्मज: – पवन के पुत्र ।

796.पावन: – पवित्र करनेवाले ।

797.पवन: – वायुरूप ।

798.कान्ता: – कांतिमान् ।

799.भक्तागःसहन: – भक्तों के अपराधों को सहन करनेवाले ।

800.बली: – बलवान्।

801.मेघनादरिपु: – मेघनाद के शत्रु ।

802.मेघनादसंहतराक्षस: – जिनकी मेघ – तुल्य गर्जना से राक्षस नष्ट हो जाते हैं ।

803.क्षर: – प्रकृतिकार्यस्वरूप ।

804.अक्षर: – अविनाशी आत्मस्वरूप ।

805.विनीतात्मा: – विनम्र –स्वभाव ।

806.वानरेश: – वानरों के ईश ।

807.सताङ्गति: – संतों की गति ।

808.श्रीकण्ठ: – शोभायमान कण्ठवाले ।

809.शितिकण्ठ: – नीलकण्ठ भगवान् शंकरस्वरूप ।

810.सहाय: – सहायता करनेवाले ।

811.सहनायक: – अपने स्वामी श्रीराम के साथ रहनेवाले ।

812.अस्थूल: – सूक्ष्मस्वरूप ।

813.अनणु: – महान् ।

814.भर्ग: – आभायुक्त ।

815.दिव्य: – दिव्यरूपधारी ।

816.संसृतिनाशन: – भवबंधन को मिटानेवाले ।

817.अध्यात्म विद्यासार: – अध्यात्मविद्या के सार-तत्व ।

818.अध्यात्म कुशल: – अध्यात्मविद्या में कुशल।

819.सुधी: – सुंदर बुद्धिवाले ।

820.अकल्मष: – निष्पाप ।

821.सत्यहेतु: – सत्यस्वरूप परमात्मा की प्राप्ति करानेवले ।

822.सत्यद: – सत्य प्रदान करनेवाले ।

823.सत्यगोचर: – सत्य से दृष्टिगोचर होनेवाले ।

824.सत्यगर्भ: – सत्य आशयवाले 825.सत्यरूप: – सत्य ( प्रशस्त ‌) रूप –सौंदर्य से युक्त ।

826.सत्य: – सत्यस्वरूप ।

827.सत्यपराक्रम: – जिनका पराक्रम निष्फल नहीं होता ।

828.अञ्जनाप्राणलिङ्ग: – माता अंजना के प्राणप्यारे पुत्र ।

829.वायुवंशोद्भव: – वायुदेवता के वंशमें उत्पन्न ।

830.शुभ: – कल्याणप्रद ।

831.भद्ररूप: – मङ्गलमय स्वरूपवाले ।

832.रुद्ररूप: – शंकरस्वरूप ।

833.सुरूप: – सुन्दर स्वरूपवाले ।

834.चित्ररूपधृक्: -चित्र- विचित्र रूप धारण करनेवाले ।

835.मैनाकवन्दित: – मैंनाकपर्वतद्वारा वंदित ।

836.सूक्ष्मदर्शन: – सूक्ष्मदृष्टि वाले ।

837.विजय: – अर्जुनस्वरूप ।

838.जय: – विष्णु के दवारपालस्वरूप ।

839.क्रान्तदिङ्मण्डल: – दिशाओं के पार जानेवाले ।

840.रुद्र: – आर्द्रानक्षत्ररूप ।

841.प्रकटीकृतविक्रम: – अपने पराक्रम को प्रकट करनेवाले ।

842.कम्बुकण्ठ: – शंख के समान सुंदर गर्दनवाले ।

843.प्रसन्नात्मा: – सदा प्रसन्न चित्त रहनेवाले ।

844.ह्रस्वनास: – छोटी नासिकावाले ।

845.वृकोदर: – भेड़ियों के समान बड़े उदरवाले ।

846.लम्बौष्ठ: – बड़े-बड़े ओठवाले ।

847.कुण्डली: – कानों मे कुण्डल धारण करनेवाले ।

848.चित्रमाली: – चित्र- विचित्र पुष्पों की माला पहननेवाले ।

849.योगविदां वर: – योगवेत्तओं में श्रेष्ठ ।

850.विपश्चितकवि – तत्वज्ञ कवि ।

851.आनन्दविग्रह: – मूर्तिमान् आनंद ।

852.अनल्पशासन: -सबके ऊपर शासन करनेवाले ।

853.फाल्गुनी सूनु: – पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र मे उत्पन्न होनेवाले फाल्गुनीपुत्र ।

854.अव्यग्र: – कभी व्याकुल न होनेवाले ।

855.योगात्मा: – योगस्वरूप ।

856.योगतत्पर: – योग में तत्पर रहनेवाले ।

857.योगवित्: – योग के ज्ञाता ।

858.योगकर्ता: – योग को बनानेवाले ।

859.योग योनि: – योग की उत्पत्तिके कारण ।

860.दिगम्बर: – दिशारूपी वस्त्रधारी ।

861.अकारादिहकारान्तवर्णनिर्मित विग्रह: – सर्ववर्णस्वरूप ।

862.उलूखलमुख: – ओखली के समान मुखार-विंदवाले ।

863.सिद्धसंस्तुत: – सिद्धपुरुषों के दवारा जिनकी सम्यक् रीति से स्तुति होती है ।

864.प्रमयेश्वर: – भूतगणों के स्वामी ।

865.श्लिष्टजङ्घ: – सटी हुई जंघावाले ।

866.श्लिष्टजानु: – मिले हुए घुटनोंवाले ।

867.श्लिष्टपाणि: – मिले हुए हाथोंवाले ।

868.शिखाधर: – चोटी धारण करनेवाले ।

869.सुशर्मा: – सुंदर सुख देनेवाले ।

870.अमितशर्मा: – असीम सुख देनेवाले ।

871.नारायण परायण: – भगवान् नारायण में लीन रहनेवाले ।

872.जिष्णु: -जीतनेवाले ।

873.भविष्णु: – भविष्य में होनेवाले ।

874.रोचिष्णु: – कांतिमान्।

875.ग्रसिष्णु: – सर्वसन्हार करनेवाले शिवस्वरूप ।

876.स्थाणु: – स्थिर रहनेवाले ।

877.हरिरुद्रानुसेक: – भगवान् विष्णु और शंकर का अभिषेक करनेवाले ।

878.कम्पन: – शत्रुओं को कम्पित करनेवाले ।

879.भूमिकम्पन: – पृथ्वी को कम्पित करनेवाले ।

880.गुण प्रवाह: – गुणों के प्रवाह अर्थात् सर्वगुणसमपन्न ।

881.सूत्रात्मा: – यज्ञोपवीतधारी ।

882.वीतराग स्तुतिप्रिय: – वीतराग पुरुष के द्वारा की गयी स्तुति जिन्हें प्रिय लगती है ।

883.नागकन्याभयध्वंसी: – नागकन्याओं के भय का ध्वंस करनेवाले ।

884.रुक्मवर्ण: – सुवर्ण के समान वर्णवाले ।

885.कपालभृत: – कपाल धारण करनेवाले ।

886.अनाकुल: – व्यग्रतारहित ।

887.भवोपाय: – भवसागर पार करने के लिये उपायरूप ।

888.अनपाय: – भगवान् श्रीराम से कभी वियुक्त न होनेवाले ।

889.वेदपारग: – वेदों में पारंगत ।

890.अक्षर: – अविनाशी ।

891.पुरुष: – बुद्धिरूपी पुरी में सोनेवाले ।

892.लोकनाथ: – सम्पूर्ण लोकों के स्वामी ।

893.ऋक्षःप्रभु: -नक्षत्रों के स्वामी अर्थात् चंद्रस्वरूप ।

894.दृढ: – हृष्ट – पुष्ट शरीर ।

895.अष्टाङ्गयोगफलभुक्: – अष्टाङ्गयोग के फलका उपभोग करनेवाले ।

896.सत्यसन्घ: – दृढ़ मैत्रीवाले ।

897.पुरुष्टुत: – – देवताओं के द्वारा संस्तुत ।

898.श्मशानस्थाननिलय: – श्मशान में निवास करनेवाले ।

899.प्रेतविद्रावणक्षम: – प्रेत को तुरंत भगाने में समर्थ ।

900.पञ्चाक्षरपर: – ‘ नम : शिवाय ’ इस प्रधान पञ्चाक्षर मंत्र को जपनेवाले ।

901.पञ्चमातृक: – सीता, उर्मिला , माण्डवी ,श्रुतिकीर्ति और अंजना – इन पाँच माताओंवाले ।

902.रञ्जनध़्वज: – लाल रंग की ध्वजावाले ।

903.योगिनीवृन्द वन्द्य श्री: – योगिनीवृन्द के द्वारा वन्दनीय शोभास्वरूप।

904.शत्रुघ्न: – शत्रुओं को हनन करनेवाले ।।

905.अनन्त विक्रम: – अपार पराक्रमशाली ।

906.ब्रह्मचारी: – ब्रह्म में विचरण करनेवाले ।

907.इन्द्रियरिपु: – इंद्रियों के शत्रु अर्थात् जितेंद्रिय ।

908.धृतदण्ड: – दण्दधारी ( गदाधारी )।

909.दशात्मक: – दशावतारस्वरूप ।

910.अप्रपञ्च: – संसार के प्रपञ्चसे रहित ।

911.सदाचार: – सदाचारयुक्त ।

912.शूरसेनाविदारक: – शूर पुरुषों की सेना को विदीर्ण करनेवाले ।

913.वृद्ध: – सब प्रकार से बड़े ।

914.प्रमोद: – प्रमोद-वृतिस्वरूप ।

915.आनन्द: – आनंद स्वरूप ।

916.सप्तद्वीपपतिन्धर: – सप्तद्वीपपतियों को धारण करनेवाले ।

917.नवद्वारपुराधार: – नवद्वारवाले पुर अर्थात् शरीरों के आधार ।

918.प्रत्यग्र: – सबके आगे चलनेवाले ।

919.सामगायक: – सामवेद का गान करनेवाले ।

920.षट्चक्रचाम: – सहस्त्रार आदि षट्चक्रों में परमात्मरूप से निवास करनेवाले ।

921.स्वर्लोकाभयकृत: -स्वर्गलोक को अभय करनेवाले ।

922.मानद: – मान देनेवाले ।

923.मद: – सम्पूर्ण अहंकृतिरूप ।

924.सर्ववश्यकर: – सबको वश में करनेवाले ।।

925.शक्ति: – शक्तिस्वरूप ।

926.अनन्त: – जिनके गुणों का अंत नहीं है ।

927.अनन्तमङ्गल: – जो अनंत मंगलों से पूर्ण हैं ।

928.अष्टमूर्ति: – पंच भूत, सुर्य , चंद्र , और आत्मा -ये आठ जिनकी मूर्ति अर्थात् स्वरूप हैं ।

929.नयोपेत: – नीतिमान्।

930.विरूप: – विविध रूपवाले ।

931.सुरसुन्दर: – देवताओं से भी अधिक सुंदर ।

932.धूमकेतु: – अग्निस्वरूप ।

933.महाकेतु: – विशाल बुद्धिवाले ।

934.सत्यकेतु: – जिनका सत्य आदर्श है ।

935.महारथ: – महारथी ।

936.नन्दिप्रिय: – नन्दि( शिववाहन ) जिनके प्रिय हैं ।

937.स्वतन्त्र: – जो किसी के अधीन नहीं हैं ।

938.मेखली: – कटिसूत्र धारण करनेवाले ।

939.डमरुप्रिय: – जिनको डमरू प्रिय है उस शिव के स्वरूप ।

940.लौहाङ्ग: – लोहे के समान दृढ़ शरीरवाले ।

941.सर्ववित्: – सब कुछ जाननेवाले।

942.धन्वी: – धनुर्धर ।

943.खण्डल: – द्रोणागिरि को खण्डित कर लानेवाले ।

944.शर्व: – शिवस्वरूप ।

945.ईश्वर: – ईश्वरस्वरूप ।

946.फलभुक्: – फल खानेवाली वानररूप ।

947.फलहस्त: – जिनके करकमल में फल है ।

948.सर्वकर्मफलप्रद: – सब कर्मों का फल प्रदान करनेवाले ।

949.धर्माध्यक्ष: – धर्म-निधि के अध्यक्ष ।

950.धर्मपाल: – धर्म का पालन करनेवाले । ।

951.धर्म: – धर्मस्वरूप ।

952.धर्मप्रद: – न्यायधर्म के दाता ।

953.अर्थद: – अर्थ प्रदान करनेवाले ।

954.पञ्चविंशतितत्त्वज्ञ: – पचीस तत्वों के यथार्थ ज्ञाता ।

955.तारक: – भवसागर से तारनेवाले ।

956.ब्रह्मतत्पर: – परब्रह्म में तत्पर ।

957.त्रिमार्गवसति: – ज्ञानयोग , भक्तियोग और कर्मयोग – इन तीनों मार्गों के निवास-स्थल ।

958.भीम: – भयंकरस्वरूप ।

959.सर्वदुःख निबर्हण: – सारे दु:खों को दूर करनेवाले ।

960.ऊर्जस्वान्: – बलशाली ।

961.निष्कल: – निर्गुण ब्रह्मस्वरूप ।

962.शूलि: – शूल धारण करनेवाले ।

963.मौलि: – किरीट धारण करनेवाले ।

964.गर्जन्निशाचर: – रात्रि में गर्जते हुए विचरण करनेवाले अर्थात् नि:शंक ।

965.रक्ताम्बरधर: – लाल वर्ण का वस्त्र धारण करनेवाले ।

966.रक्त: – लाल वर्णवाले ।

967.रक्तमाल्य: – लाल रंग की माला से सुशोभित ।

968.विभूषण: – अलंकारस्वरूप ।

969.वनमाली: – वन्य पुष्पों की माला पहननेवाले ।

970.शुभाङ्ग: – मंगलस्वरूप ।

971.श्वेत: – श्वेत स्वरूप ।

972.श्वेताम्बर: – शुक्ल वर्ण का वस्त्र धारण करनेवाले ।

973.युवा: – सदा तरुणस्वरूप।

974.जय: – विजेता ।

975.अजयपरीवार: – जिसका विजय ही परिवार है ।

976.सहस्रवदन: – सहस्त्र मुखवाले ।

977.कपि: – कपिस्वरूप ।

978.शाकिनी डाकिनी यक्षरक्षो भूतप्रभञ्जक: – शाकिनी, डाकिनी , यक्ष , राक्षस,भूत आदिका नाश करनेवाले ।

979.सद्योजात: – तुरंत प्रकट होनेवाले।

980.कामगति: -स्वच्छंद घूमनेवाले ।

981.ज्ञानमूर्ति: – ज्ञान की साक्षात मूर्ति ।

982.यशस्कर: – यशस्वी।

983.शम्भुतेजा: – भगवान् शंकर के समान तेजस्वी ।

984.सार्वभौम: – सब संसार के अधिपति ।

985.विष्णुभक्त: – भगवान् विष्णु के भक्त।

986.प्लवङ्गम: – मर्कटस्वरूप ।

987.चतुर्नवतिमन्त्रज्ञ: – चौरानबे मंत्रों के ज्ञाता ।

988.पौलस्त्यबलदर्पहा: – रावण के बल के घमंड को नष्ट करनेवाले ।

989.सर्वलक्ष्मीप्रद: – सारे ऐश्वर्य को प्रदान करनेवाले ।

990.श्रीमान: – सर्वैश्वर्यशाली ।

991.अङ्गदप्रिय: – अंगद के प्यारे ।

992.ईडित: – स्तुत्य ।

993.स्मृतिबीजम् – स्मृतियों के बीज ।

994.सुरेशान: – देवताओं के स्वामी ।

995.संसार भय नाशन: – संसार के भय का नाश करनेवाले ।

996.उत्तम: – श्रेष्ठ ।

997.श्रीपरीवार: – श्री ( माता जानकी ) – के पुत्र ।

998.श्रित: – आश्रयवान्।

999.रुद्र: – रुद्रस्वरूप ।

1000. कामधुक्: – सारी कामनाओं को पूर्ण करनेवाले ।

हनुमत्सहस्त्र नामावलीविनियोग

ॐ अस्य श्रीहनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्रमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः
हनुमान देवता, अनुष्टुप छन्द, ह्रां बीजं श्रीं शक्ति, श्रीहनुमत्प्रीत्यर्थंतद्सहस्त्रनामभिरमुकसंख्यार्थ पुष्पादिद्रव्य समर्पणे विनियोगः।

ध्यानः

ध्यायेद् बालदिवाकरद्युतिनिभ देवारिदर्पापहंदेवेन्द्रमुखप्रशा्तयकसं देदीप्यमान रुचा।
सुग्रीवादिसमतवानरयुतं सुव्यक्ततत्त्वप्रियंसंरक्तारुणलोचनं पवनजं पीताम्बरालंकृतम्।।
उद्यदादित्यसंकाशमुदारभुजविक्रमम्।कन्दर्पकोटिलावण्य सर्वविद्याविशारदम्।।
श्रीरामहृदयानन्दं भक्तकल्पमहीरुहम्।अभयं वरदं दोर्म्मा चिन्तयेन्मारुतात्मजम्।।

Hanuman Sahasranama – हनुमान सहस्त्र नाम
1) ॐ हनुमते नमः।
2) ॐ श्रीप्रदाय नमः।
3) ॐ वायुपुत्राय नमः।
4) ॐ रुद्राय नमः।
5) ॐ अनघाय नमः।
6) ॐ अजराय नमः।
7) ॐ अमृत्यवे नमः।
8) ॐ वीरवीराय नमः।
9) ॐ ग्रामवासाय नमः।
10) ॐ जनाश्रयाय नमः।
11) ॐ धनदाय नमः।
12) ॐ निर्गुणाय नमः।
13) ॐ अकायाय नमः।
14) ॐ वीराय नमः।
15) ॐ निधिपतये नमः।
16) ॐ मुनये नमः।
17) ॐ पिङ्गालक्षाय नमः।
18) ॐ वरदाय नमः।
19) ॐ वाग्मिने नमः।
20) ॐ सीताशोकविनाशनाय नमः।
21) ॐ शिवाय नमः।
22) ॐ सर्वस्मै नमः।
23) ॐ परस्मै नमः।
24) ॐ अव्यक्ताय नमः।
25) ॐ व्यक्ताव्यक्ताय नमः।
26) ॐ रसाधराय नमः।
27) ॐ पिङ्गकेशाय नमः।
28) ॐ पिङ्गरोम्णे नमः।
29) ॐ श्रुतिगम्याय नमः।
30) ॐ सनातनाय नमः।
31) ॐ अनादये नमः।
32) ॐ भगवते नमः।
33) ॐ देवाय नमः।
34) ॐ विश्वहेतवे नमः।
35) ॐ निरामयाय नमः।
36) ॐ आरोग्यकर्त्रे नमः।
37) ॐ विश्वेशाय नमः।
38) ॐ विश्वनाथाय नमः।
39) ॐ हरीश्वराय नमः।
40) ॐ भर्गाय नमः।
41) ॐ रामाय नमः।
42) ॐ रामभक्ताय नमः।
43) ॐ कल्याणप्रकृतये नमः।
44) ॐ स्थिराय नमः।
45) ॐ विश्वम्भराय नमः।
46) ॐ विश्वमूर्तये नमः।
47) ॐ विश्वाकाराय नमः।
48) ॐ विश्वपाय नमः।
49) ॐ विश्वात्मने नमः।
50) ॐ विश्वसेव्याय नमः।

51) ॐ विश्वस्मै नमः।
52) ॐ विश्वहराय नमः।
53) ॐ रवये नमः।
54) ॐ विश्वचेष्टाय नमः।
55) ॐ विश्वगम्याय नमः।
56) ॐ विश्वध्येयाय नमः।
57) ॐ कलाधराय नमः।
58) ॐ प्लवङ्गमाय नमः।
59) ॐ कपिश्रेष्ठाय नमः।
60) ॐ ज्येष्ठाय नमः।
61) ॐ वैद्याय नमः।
62) ॐ वनेचराय नमः।
63) ॐ बालाय नमः।
64) ॐ वृद्धाय नमः।
65) ॐ यूने नमः।
66) ॐ तत्त्वाय नमः।
67) ॐ तत्त्वगम्याय नमः।
68) ॐ सख्ये नमः।
69) ॐ अजाय नमः।
70) ॐ अञ्जनासूनवे नमः।
71) ॐ अव्यग्राय नमः।
72) ॐ ग्रामख्याताय नमः।
73) ॐ धराधराय नमः।
74) ॐ भूर्लोकाय नमः।
75) ॐ भुवर्लोकाय नमः।
76) ॐ स्वर्लोकाय नमः।
77) ॐ महर्लोकाय नमः।
78) ॐ जनलोकाय नमः।
79) ॐ तपोलोकाय नमः।
80) ॐ अव्ययाय नमः।
81) ॐ सत्याय नमः।
82) ॐ ओंकारगम्याय नमः।
83) ॐ प्रणवाय नमः।
84) ॐ व्यापकाय नमः।
85) ॐ अमलाय नमः।
86) ॐ शिवधर्मप्रतिष्ठात्रे नमः।
87) ॐ रामेष्टाय नमः।
88) ॐ फाल्गुनप्रियाय नमः।
89) ॐ गोष्पदीकृतवारीशाय नमः।
90) ॐ पूर्णकामाय नमः।
91) ॐ धरापतये नमः।
92) ॐ रक्षोघ्नाय नमः।
93) ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः।
94) ॐ शरणागतवत्सलाय नमः।
95) ॐ जानकीप्राणदात्रे नमः।
96) ॐ रक्षःप्राणापहारकाय नमः।
97) ॐ पूर्णाय नमः।
98) ॐ सत्यायः नमः।
99) ॐ पीतवाससे नमः।
100) ॐ दिवाकरसमप्रभाय नमः।

101) ॐ देवोद्यानविहारिणे नमः।
102) ॐ देवताभयभञ्जनाय नमः।
103) ॐ भक्तोदयाय नमः।
104) ॐ भक्तलब्धाय नमः।
105) ॐ भक्तपालनतत्पराय नमः।
106) ॐ द्रोणहर्त्रे नमः।
107) ॐ शक्तिनेत्रे नमः।
108) ॐ शक्तिराक्षसमारकाय नमः।
109) ॐ अक्षघ्नाय नमः।
110) ॐ रामदूताय नमः।
111) ॐ शाकिनीजीवहारकाय नमः।
112) ॐ बुबुकारहतारातये नमः।
113) ॐ गर्वपर्वतप्रमर्दनाय नमः।
114) ॐ हेतवे नमः।
115) ॐ अहेतवे नमः।
116) ॐ प्रांशवे नमः।
117) ॐ विश्वभर्त्रे नमः।
118) ॐ जगद्गुरवे नमः।
119) ॐ जगन्नेत्रे नमः।
120) ॐ जगन्नाथाय नमः।
121) ॐ जगदीशाय नमः।
122) ॐ जनेश्वराय नमः।
123) ॐ जगद्धिताय नमः।
124) ॐ हरये नमः।
125) ॐ श्रीशाय नमः।
126) ॐ गरुडस्मयभञ्जनाय नमः।
127) ॐ पार्थध्वजाय नमः।
128) ॐ वायुपुत्राय नमः।
129) ॐ अमितपुच्छाय नमः।
130) ॐ अमितविक्रमाय नमः।
131) ॐ ब्रह्मपुच्छाय नमः।
132) ॐ परब्रह्मपुच्छाय नमः।
133) ॐ रामेष्टकारकाय नमः।
134) ॐ सुग्रीवादियुताय नमः।
135) ॐ ज्ञानिने नमः।
136) ॐ वानराय नमः।
137) ॐ वानरेश्वराय नमः।
138) ॐ कल्पस्थायिने नमः।
139) ॐ चिरञ्जीविने नमः।
140) ॐ तपनाय नमः।
141) ॐ सदाशिवाय नमः।
142) ॐ सन्नतये नमः।
143) ॐ सद्गतये नमः।
144) ॐ भुक्तिमुक्तिदाय नमः।
145) ॐ कीर्तिदायकाय नमः।
146) ॐ कीर्तये नमः।
147) ॐ कीर्तिप्रदाय नमः।
148) ॐ समुद्राय नमः।
149) ॐ श्रीप्रदाय नमः।
150) ॐ शिवाय नमः।
151) ॐ भक्तोदयाय नमः।
152) ॐ भक्तगम्याय नमः।
153) ॐ भक्तभाग्यप्रदायकाय नमः।
154) ॐ उदधिक्रमणाय नमः।
155) ॐ देवाय नमः।
156) ॐ संसारभयनाशनाय नमः।
157) ॐ वार्धिबन्धनकृते नमः।
158) ॐ विश्वजेत्रे नमः।
159) ॐ विश्वप्रतिष्ठिताय नमः।
160) ॐ लङ्कारये नमः।
161) ॐ कालपुरुषाय नमः।
162) ॐ लङ्केशगृहभञ्जनाय नमः।
163) ॐ भूतावासाय नमः।
164) ॐ वासुदेवाय नमः।
165) ॐ वसवे नमः।
166) ॐ त्रिभुवनेश्वराय नमः।
167) ॐ श्रीरामरूपाय नमः।
168) ॐ कृष्णाय नमः।
169) ॐ लङ्काप्रासादभञ्जकाय नमः।
170) ॐ कृष्णाय नमः।
171) ॐ कृष्णस्तुताय नमः।
172) ॐ शान्ताय नमः।
173) ॐ शान्तिदाय नमः।
174) ॐ विश्वपावनाय नमः।
175) ॐ विश्वभोक्त्रे नमः।
176) ॐ मारघ्नाय नमः।
177) ॐ ब्रह्मचारिणे नमः।
178) ॐ जितेन्द्रियाय नमः।
179) ॐ ऊर्ध्वगाय नमः।
180) ॐ लाङ्गुलिने नमः।
181) ॐ मालिने नमः।
182) ॐ लाङ्गूलाहतराक्षसाय नमः।
183) ॐ समीरतनुजाय नमः।
184) ॐ वीराय नमः।
185) ॐ वीरताराय नमः।
186) ॐ जयप्रदाय नमः।
187) ॐ जगन्मङ्गलदाय नमः।
188) ॐ पुण्याय नमः।
189) ॐ पुण्यश्रवणकीर्तनाय नमः।
190) ॐ पुण्यकीर्तये नमः।
191) ॐ पुण्यगतये नमः।
192) ॐ जगत्पावनापावनाय नमः।
193) ॐ देवेशाय नमः।
194) ॐ जितमाराय नमः।
195) ॐ रामभक्तिविधायकाय नमः।
196) ॐ ध्यात्रे नमः।
197) ॐ ध्येयाय नमः।
198) ॐ लयाय नमः।
199) ॐ साक्षिणे नमः।
200) ॐ चेतसे नमः।

201) ॐ चैतन्यविग्रहाय नमः।
202) ॐ ज्ञानदाय नमः।
203) ॐ प्राणदाय नमः।
204) ॐ प्राणाय नमः।
205) ॐ जगत्प्राणाय नमः।
206) ॐ समीरणाय नमः।
207) ॐ विभीषणप्रियाय नमः।
208) ॐ शूराय नमः।
209) ॐ पिप्पलाश्रयसिद्धिदाय नमः।
210) ॐ सिद्धाय नमः।
211) ॐ सिद्धाश्रयाय नमः।
212) ॐ कालाय नमः।
213) ॐ महोक्षाय नमः।
214) ॐ कालाजान्तकाय नमः।
215) ॐ लङ्केशनिधनाय नमः।
216) ॐ स्थायिने नमः।
217) ॐ लङ्कादाहकाय नमः।
218) ॐ ईश्वराय नमः।
219) ॐ चन्द्रसूर्याग्निनेत्राय नमः।
220) ॐ कालाग्नये नमः।
221) ॐ प्रलयान्तकाय नमः।
222) ॐ कपिलाय नमः।
223) ॐ कपिशाय नमः।
224) ॐ पुण्यराशये नमः।
225) ॐ द्वादशराशिगाय नमः।
226) ॐ सर्वाश्रयाय नमः।
227) ॐ अप्रमेयात्मने नमः।
228) ॐ रेवत्यादिनिवारकाय नमः।
229) ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः।
230) ॐ सीताजीवनहेतुकाय नमः।
231) ॐ रामध्येयाय नमः।
232) ॐ हृषिकेशाय नमः।
233) ॐ विष्णुभक्ताय नमः।
234) ॐ जटिने नमः।
235) ॐ बलिने नमः।
236) ॐ देवारिदर्पघ्ने नमः।
237) ॐ होत्रे नमः।
238) ॐ धात्रे नमः।
239) ॐ कर्त्रे नमः।
240) ॐ जगत्प्रभवे नमः।
241) ॐ नगरग्रामपालाय नमः।
242) ॐ शुद्धाय नमः।
243) ॐ बुद्धाय नमः।
244) ॐ निरत्रपाय नमः।
245) ॐ निरञ्जनाय नमः।
246) ॐ निर्विकल्पाय नमः।
247) ॐ गुणातीताय नमः।
248) ॐ भयङ्कराय नमः।
249) ॐ हनुमते नमः।
250) ॐ दुराराध्याय नमः।
251) ॐ तपःसाध्याय नमः।
252) ॐ महेश्वराय नमः।
253) ॐ जानकीधनशोकोत्थतापहर्त्रे नमः।
254) ॐ परात्परस्मै नमः।
255) ॐ वाङ्मयाय नमः।
256) ॐ सदसद्रूपाय नमः।
257) ॐ कारणाय नमः।
258) ॐ प्रकृतेः परस्मै नमः।
259) ॐ भाग्यदाय नमः।
260) ॐ निर्मलाय नमः।
261) ॐ नेत्रे नमः।
262) ॐ पुच्छलङ्काविदाहकाय नमः।
263) ॐ पुच्छबद्धयातुधानाय नमः।
264) ॐ यातुधानरिपुप्रियाय नमः।
265) ॐ छायापहारिणे नमः।
266) ॐ भूतेशाय नमः।
267) ॐ लोकेशाय नमः।
268) ॐ सद्गतिप्रदाय नमः।
269) ॐ प्लवङ्गमेश्वराय नमः।
270) ॐ क्रोधाय नमः।
271) ॐ क्रोधसंरक्तलोचनाय नमः।
272) ॐ सौम्याय नमः।
273) ॐ गुरवे नमः।
274) ॐ काव्यकर्त्रे नमः।
275) ॐ भक्तानां वरप्रदाय नमः।
276) ॐ भक्तानुकम्पिने नमः।
277) ॐ विश्वेशाय नमः।
278) ॐ पुरुहूताय नमः।
279) ॐ पुरन्दराय नमः।
280) ॐ क्रोधहर्त्रे नमः।
281) ॐ तमोहर्त्रे नमः।
282) ॐ भक्ताभयवरप्रदाय नमः।
283) ॐ अग्नये नमः।
284) ॐ विभावसवे नमः।
285) ॐ भास्वते नमः।
286) ॐ यमाय नमः।
287) ॐ निर्ॠतये नमः।
288) ॐ वरुणाय नमः।
289) ॐ वायुगतिमते नमः।
290) ॐ वायवे नमः।
291) ॐ कौबेराय नमः।
292) ॐ ईश्वराय नमः।
293) ॐ रवये नमः।
294) ॐ चन्द्राय नमः।
295) ॐ कुजाय नमः।
296) ॐ सौम्याय नमः।
297) ॐ गुरवे नमः।
298) ॐ काव्याय नमः।
299) ॐ शनैश्चराय नमः।
300) ॐ राहवे नमः।

301) ॐ केतवे नमः।
302) ॐ मरुते नमः।
303) ॐ होत्रे नमः।
304) ॐ दात्रे नमः।
305) ॐ हर्त्रे नमः।
306) ॐ समीरजाय नमः।
307) ॐ मशकीकृतदेवारये नमः।
308) ॐ दैत्यारये नमः।
309) ॐ मधुसूदनाय नमः।
310) ॐ कामाय नमः।
311) ॐ कपये नमः।
312) ॐ कामपालाय नमः।
313) ॐ कपिलाय नमः।
314) ॐ विश्वजीवनाय नमः।
315) ॐ भागीरथीपदाम्भोजाय नमः।
316) ॐ सेतुबन्धविशारदाय नमः।
317) ॐ स्वाहायै नमः।
318) ॐ स्वधायै नमः।
319) ॐ हविषे नमः।
320) ॐ कव्याय नमः।
321) ॐ हव्यवाहप्रकाशकाय नमः।
322) ॐ स्वप्रकाशाय नमः।
323) ॐ महावीराय नमः।
324) ॐ लघवे नमः।
325) ॐ ऊर्जितविक्रमाय नमः।
326) ॐ उड्डीनोड्डीनगतिमते नमः।
327) ॐ सद्गतये नमः।
328) ॐ पुरुषोत्तमाय नमः।
329) ॐ जगदात्मने नमः।
330) ॐ जगद्योनये नमः।
331) ॐ जगदन्ताय नमः।
332) ॐ अनन्तकाय नमः।
333) ॐ विपाप्मने नमः।
334) ॐ निष्कलङ्काय नमः।
335) ॐ महते नमः।
336) ॐ महदहङ्कृतये नमः।
337) ॐ खाय नमः।
338) ॐ वायवे नमः।
339) ॐ पृथिव्यै नमः।
340) ॐ अद्भ्यो नमः।
341) ॐ वह्नये नमः।
342) ॐ दिक्पालाय नमः।
343) ॐ क्षेत्रज्ञाय नमः।
344) ॐ क्षेत्रहर्त्रे नमः।
345) ॐ पल्वलीकृतसागराय नमः।
346) ॐ हिरण्मयाय नमः।
347) ॐ पुराणाय नमः।
348) ॐ खेचराय नमः।
349) ॐ भूचराय नमः।
350) ॐ अमराय नमः।
351) ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
352) ॐ सूत्रात्मने नमः।
353) ॐ राजराजाय नमः।
354) ॐ विशाम्पतये नमः।
355) ॐ वेदान्तवेद्याय नमः।
356) ॐ उद्गीथाय नमः।
357) ॐ वेदवेदाङ्गपारगाय नमः।
358) ॐ प्रतिग्रामस्थितये नमः।
359) ॐ सद्यः स्फूर्तिदात्रे नमः।
360) ॐ गुणाकराय नमः।
361) ॐ नक्षत्रमालिने नमः।
362) ॐ भूतात्मने नमः।
363) ॐ सुरभये नमः।
364) ॐ कल्पपादपाय नमः।
365) ॐ चिन्तामणये नमः।
366) ॐ गुणनिधये नमः।
367) ॐ प्रजाधाराय नमः।
368) ॐ अनुत्तमाय नमः।
369) ॐ पुण्यश्लोकाय नमः।
370) ॐ पुरारातये नमः।
371) ॐ ज्योतिष्मते नमः।
372) ॐ शर्वरीपतये नमः।
373) ॐ किल्किलारावसन्त्रस्तभूतप्रेतपिशाचकाय नमः।
374) ॐ ऋणत्रयहराय नमः।
375) ॐ सूक्ष्माय नमः।
376) ॐ स्थूलाय नमः।
377) ॐ सर्वगतये नमः।
378) ॐ पुंसे नमः।
379) ॐ अपस्मारहराय नमः।
380) ॐ स्मर्त्रे नमः।
381) ॐ श्रुतये नमः।
382) ॐ गाथायै नमः।
383) ॐ स्मृतये नमः।
384) ॐ मनवे नमः।
385) ॐ स्वर्गद्वाराय नमः।
386) ॐ प्रजाद्वाराय नमः।
387) ॐ मोक्षद्वाराय नमः।
388) ॐ यतीश्वराय नमः।
389) ॐ नादरूपायx नमः।
390) ॐ परस्मै ब्रह्मणे नमः।
391) ॐ ब्रह्मणे नमः।
392) ॐ ब्रह्मपुरातनाय नमः।
393) ॐ एकस्मै नमः।
394) ॐ अनेकाय नमः।
395) ॐ जनाय नमः।
396) ॐ शुक्लाय नमः।
397) ॐ स्वयंज्योतिषे नमः।
398) ॐ अनाकुलाय नमः।
399) ॐ ज्योतिर्ज्योतिषे नमः।
400) ॐ अनादये नमः।

401) ॐ सात्त्विकाय नमः।
402) ॐ राजसाय नमः।
403) ॐ तमाय नमः।
404) ॐ तमोहर्त्रे नमः।
405) ॐ निरालम्बाय नमः।
406) ॐ निराकाराय नमः।
407) ॐ गुणाकराय नमः।
408) ॐ गुणाश्रयाय नमः।
409) ॐ गुणमयाय नमः।
410) ॐ बृहत्कर्मणे नमः।
411) ॐ बृहद्यशसे नमः।
412) ॐ बृहद्धनवे नमः।
413) ॐ बृहत्पादाय नमः।
414) ॐ बृहन्मूर्ध्ने नमः।
415) ॐ बृहत्स्वनाय नमः।
416) ॐ बृहत्कर्णाय नमः।
417) ॐ बृहन्नासाय नमः।
418) ॐ बृहद्बाहवे नमः।
419) ॐ बृहत्तनवे नमः।
420) ॐ बृहज्जानवे नमः।
421) ॐ बृहत्कार्याय नमः।
422) ॐ बृहत्पुच्छाय नमः।
423) ॐ बृहत्कराय नमः।
424) ॐ बृहद्गतये नमः।
425) ॐ बृहत्सेव्याय नमः।
426) ॐ बृहल्लोकफलप्रदाय नमः।
427) ॐ बृहच्छक्तये नमः।
428) ॐ बृहद्वाञ्छाफलदाय नमः।
429) ॐ बृहदीश्वराय नमः।
430) ॐ बृहल्लोकनुताय नमः।
431) ॐ द्रष्ट्रे नमः।
432) ॐ विद्यादात्रे नमः।
433) ॐ जगद्गुरवे नमः।
434) ॐ देवाचार्याय नमः।
435) ॐ सत्यवादिने नमः।
436) ॐ ब्रह्मवादिने नमः।
437) ॐ कलाधराय नमः।
438) ॐ सप्तपातालगामिने नमः।
439) ॐ मलयाचलसंश्रयाय नमः।
440) ॐ उत्तराशास्थिताय नमः।
441) ॐ श्रीदाय नमः।
442) ॐ दिव्यौषधिवशाय नमः।
443) ॐ खगाय नमः।
444) ॐ शाखामृगाय नमः।
445) ॐ कपीन्द्राय नमः।
446) ॐ पुराणश्रुतिचञ्चुराय नमः।
447) ॐ चतुरब्राह्मणाय नमः।
448) ॐ योगिने नमः।
449) ॐ योगगम्याय नमः।
450) ॐ परस्मै नमः।
451) ॐ अवरस्मै नमः।
452) ॐ अनादिनिधनाय नमः।
453) ॐ व्यासाय नमः।
454) ॐ वैकुण्ठाय नमः।
455) ॐ पृथिवीपतये नमः।
456) ॐ अपराजिताय नमः।
457) ॐ जितारातये नमः।
458) ॐ सदानन्दाय नमः।
459) ॐ दयायुताय नमः।
460) ॐ गोपालाय नमः।
461) ॐ गोपतये नमः।
462) ॐ गोप्त्रे नमः।
463) ॐ कलिकालपराशराय नमः।
464) ॐ मनोवेगिने नमः।
465) ॐ सदायोगिने नमः।
466) ॐ संसारभयनाशनाय नमः।
467) ॐ तत्त्वदात्रे नमः।
468) ॐ तत्त्वज्ञाय नमः।
469) ॐ तत्त्वाय नमः।
470) ॐ तत्त्वप्रकाशकाय नमः।
471) ॐ शुद्धाय नमः।
472) ॐ बुद्धाय नमः।
473) ॐ नित्यमुक्ताय नमः।
474) ॐ भक्तराजाय नमः।
475) ॐ जयद्रथाय नमः।
476) ॐ प्रलयाय नमः।
477) ॐ अमितमायाय नमः।
478) ॐ मायातीताय नमः।
479) ॐ विमत्सराय नमः।
480) ॐ मायाभर्जितरक्षसे नमः।
481) ॐ मायानिर्मितविष्टपाय नमः।
482) ॐ मायाश्रयाय नमः।
483) ॐ निर्लेपाय नमः।
484) ॐ मायानिर्वर्तकाय नमः।
485) ॐ सुखाय नमः।
486) ॐ सुखिने नमः।
487) ॐ सुखप्रदाय नमः।
488) ॐ नागाय नमः।
489) ॐ महेशकृतसंस्तवाय नमः।
490) ॐ महेश्वराय नमः।
491) ॐ सत्यसन्धाय नमः।
492) ॐ शरभाय नमः।
493) ॐ कलिपावनाय नमः।
494) ॐ सहस्रकन्धरबलविध्वंसनविचक्षणाय नमः।
495) ॐ सहस्रबाहवे नमः।
496) ॐ सहजाय नमः।
497) ॐ द्विबाहवे नमः।
498) ॐ द्विभुजाय नमः।
499) ॐ अमराय नमः।
500) ॐ चतुर्भुजाय नमः।

501) ॐ दशभुजाय नमः।
502) ॐ हयग्रीवाय नमः।
503) ॐ खगाननाय नमः।
504) ॐ कपिवक्त्राय नमः।
505) ॐ कपिपतये नमः।
506) ॐ नरसिंहाय नमः।
507) ॐ महाद्युतये नमः।
508) ॐ भीषणाय नमः।
509) ॐ भावगाय नमः।
510) ॐ वन्द्याय नमः।
511) ॐ वराहाय नमः।
512) ॐ वायुरूपधृषे नमः।
513) ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः।
514) ॐ पराजितदशाननाय नमः।
515) ॐ पारिजातनिवासिने नमः।
516) ॐ वटवे नमः।
517) ॐ वचनकोविदाय नमः।
518) ॐ सुरसास्यविनिर्मुक्ताय नमः।
519) ॐ सिंहिकाप्राणहारकाय नमः।
520) ॐ लङ्कालङ्कारविध्वंसिने नमः।
521) ॐ वृषदंशकरूपधृषे नमः।
522) ॐ रात्रिसंचारकुशलाय नमः।
523) ॐ रात्रिंचरगृहाग्निदाय नमः।
524) ॐ किङ्करान्तकराय नमः।
525) ॐ जम्बुमालिहन्त्रे नमः।
526) ॐ उग्ररूपधृषे नमः।
527) ॐ आकाशचारिणे नमः।
528) ॐ हरिगाय नमः।
529) ॐ मेघनादरणोत्सुकाय नमः।
530) ॐ मेघगम्भीरनिनदाय नमः।
531) ॐ महारावणकुलान्तकाय नमः।
532) ॐ कालनेमिप्राणहारिणे नमः।
533) ॐ मकरीशापमोक्षदाय नमः।
534) ॐ रसाय नमः।
535) ॐ रसज्ञाय नमः।
536) ॐ सम्मानाय नमः।
537) ॐ रूपाय नमः।
538) ॐ चक्षुषे नमः।
539) ॐ श्रुतये नमः।
540) ॐ वचसे नमः।
541) ॐ घ्राणाय नमः।
542) ॐ गन्धाय नमः।
543) ॐ स्पर्शनाय नमः।
544) ॐ स्पर्शाय नमः।
545) ॐ अहङ्कारमानगाय नमः।
546) ॐ नेतिनेतीतिगम्याय नमः।
547) ॐ वैकुण्ठभजनप्रियाय नमः।
548) ॐ गिरीशाय नमः।
549) ॐ गिरिजाकान्ताय नमः।
550) ॐ दुर्वाससे नमः।
551) ॐ कवये नमः।
552) ॐ अङ्गिरसे नमः।
553) ॐ भृगवे नमः।
554) ॐ वसिष्ठाय नमः।
555) ॐ च्यवनाय नमः।
556) ॐ नारदाय नमः।
557) ॐ तुम्बराय नमः।
558) ॐ अमलाय नमः।
559) ॐ विश्वक्षेत्राय नमः।
560) ॐ विश्वबीजाय नमः।
561) ॐ विश्वनेत्राय नमः।
562) ॐ विश्वपाय नमः।
563) ॐ याजकाय नमः।
564) ॐ यजमानाय नमः।
565) ॐ पावकाय नमः।
566) ॐ पितृभ्यो नमः।
567) ॐ श्रद्धायै नमः।
568) ॐ बुद्धयै नमः।
569) ॐ क्षमायै नमः।
570) ॐ तन्द्रायै नमः।
571) ॐ मन्त्राय नमः।
572) ॐ मन्त्रयित्रे नमः।
573) ॐ स्वराय नमः।
574) ॐ राजेन्द्राय नमः।
575) ॐ भूपतये नमः।
576) ॐ रुण्डमालिने नमः।
577) ॐ संसारसारथये नमः।
578) ॐ नित्यसम्पूर्णकामाय नमः।
579) ॐ भक्तकामदुहे नमः।
580) ॐ उत्तमाय नमः।
581) ॐ गणपाय नमः।
582) ॐ केशवाय नमः।
583) ॐ भ्रात्रे नमः।
584) ॐ पित्रे नमः।
585) ॐ मात्रे नमः।
586) ॐ मारुतये नमः।
587) ॐ सहस्रमूर्ध्ने नमः।
588) ॐ अनेकास्याय नमः।
589) ॐ सहस्राक्षाय नमः।
590) ॐ सहस्रपादे नमः।
591) ॐ कामजिते नमः।
592) ॐ कामदहनाय नमः।
593) ॐ कामाय नमः।
594) ॐ कामफलप्रदाय नमः।
595) ॐ मुद्रापहारिणे नमः।
596) ॐ रक्षोघ्नाय नमः।
597) ॐ क्षितिभारहराय नमः।
598) ॐ बलाय नमः।
599) ॐ नखदंष्ट्रायुधाय नमः।
600) ॐ विष्णवे नमः।

601) ॐ भक्ताभयवरप्रदाय नमः।
602) ॐ दर्पघ्ने नमः।
603) ॐ दर्पदाय नमः।
604) ॐ दंष्ट्राशतमूर्तये नमः।
605) ॐ अमूर्तिमते नमः।
606) ॐ महानिधये नमः।
607) ॐ महाभागाय नमः।
608) ॐ महाभर्गाय नमः।
609) ॐ महार्द्धिदाय नमः।
610) ॐ महाकाराय नमः।
611) ॐ महायोगिने नमः।
612) ॐ महातेजसे नमः।
613) ॐ महाद्युतये नमः।
614) ॐ महासनाय नमः।
615) ॐ महानादाय नमः।
616) ॐ महामन्त्राय नमः।
617) ॐ महामतये नमः।
618) ॐ महागमाय नमः।
619) ॐ महोदाराय नमः।
620) ॐ महादेवात्मकाय नमः।
621) ॐ विभवे नमः।
622) ॐ रौद्रकर्मणे नमः।
623) ॐ क्रूरकर्मणे नमः।
624) ॐ रत्नाभाय नमः।
625) ॐ कृतागमाय नमः।
626) ॐ अम्भोधिलङ्घनाय नमः।
627) ॐ सिंहाय नमः।
628) ॐ सत्यधर्मप्रमोदनाय नमः।
629) ॐ जितामित्राय नमः।
630) ॐ जयाय नमः।
631) ॐ सोमाय नमः।
632) ॐ विजयाय नमः।
633) ॐ वायुनन्दनाय नमः।
634) ॐ जीवदात्रे नमः।
635) ॐ सहस्रांशवे नमः।
636) ॐ मुकुन्दाय नमः।
637) ॐ भूरिदक्षिणाय नमः।
638) ॐ सिद्धार्थाय नमः।
639) ॐ सिद्धिदाय नमः।
640) ॐ सिद्धसङ्कल्पाय नमः।
641) ॐ सिद्धिहेतुकाय नमः।
642) ॐ सप्तपातालचरणाय नमः।
643) ॐ सप्तर्षिगणवन्दिताय नमः।
644) ॐ सप्ताब्धिलङ्घनाय नमः।
645) ॐ वीराय नमः।
646) ॐ सप्तद्वीपोरुमण्डलाय नमः।
647) ॐ सप्ताङ्गराज्यसुखदाय नमः।
648) ॐ सप्तमातृनिषेविताय नमः।
649) ॐ सप्तस्वर्लोकमुकुटाय नमः।
650) ॐ सप्तहोत्रे नमः।
651) ॐ स्वाराश्रयाय नमः।
652) ॐ सप्तच्छन्दोनिधये नमः।
653) ॐ सप्तच्छन्दसे नमः।
654) ॐ सप्तजनाश्रयाय नमः।
655) ॐ सप्तसामोपगीताय नमः।
656) ॐ सप्तपातालसंश्रयाय नमः।
657) ॐ मेधादाय नमः।
658) ॐ कीर्तिदाय नमः।
659) ॐ शोकहारिणे नमः।
660) ॐ दौर्भाग्यनाशनाय नमः।
661) ॐ सर्वरक्षाकराय नमः।
662) ॐ गर्भदोषघ्ने नमः।
663) ॐ पुत्रपौत्रदाय नमः।
664) ॐ प्रतिवादिमुखस्तम्भाय नमः।
665) ॐ रुष्टचित्तप्रसादनाय नमः।
666) ॐ पराभिचारशमनाय नमः।
667) ॐ दुःखघ्ने नमः।
668) ॐ बन्धमोक्षदाय नमः।
669) ॐ नवद्वारपुराधाराय नमः।
670) ॐ नवद्वारनिकेतनाय नमः।
671) ॐ नरनारायणस्तुत्याय नमः।
672) ॐ नवनाथमहेश्वराय नमः।
673) ॐ मेखलिने नमः।
674) ॐ कवचिने नमः।
675) ॐ खड्गिने नमः।
676) ॐ भ्राजिष्णवे नमः।
677) ॐ जिष्णुसारथये नमः।
678) ॐ बहुयोजनविस्तीर्णपुच्छाय नमः।
679) ॐ पुच्छहतासुराय नमः।
680) ॐ दुष्टग्रहनिहन्त्रे नमः।
681) ॐ पिशाचग्रहघातकाय नमः।
682) ॐ बालग्रहविनाशिने नमः।
683) ॐ धर्मनेत्रे नमः।
684) ॐ कृपाकराय नमः।
685) ॐ उग्रकृत्याय नमः।
686) ॐ उग्रवेगाय नमः।
687) ॐ उग्रनेत्राय नमः।
688) ॐ शतक्रतवे नमः।
689) ॐ शतमन्युनुताय नमः।
690) ॐ स्तुत्याय नमः।
691) ॐ स्तुतये नमः।
692) ॐ स्तोत्रे नमः।
693) ॐ महाबलाय नमः।
694) ॐ समग्रगुणशालिने नमः।
695) ॐ व्यग्राय नमः।
696) ॐ रक्षोविनाशकाय नमः।
697) ॐ रक्षोऽग्निदाहाय नमः।
698) ॐ ब्रह्मेशाय नमः।
699) ॐ श्रीधराय नमः।
700) ॐ भक्तवत्सलाय नमः।

701) ॐ मेघनादाय नमः।
702) ॐ मेघरूपाय नमः।
703) ॐ मेघवृष्टिनिवारकाय नमः।
704) ॐ मेघजीवनहेतवे नमः।
705) ॐ मेघश्यामाय नमः।
706) ॐ परात्मकाय नमः।
707) ॐ समीरतनयाय नमः।
708) ॐ योद्ध्रे नमः।
709) ॐ नृत्यविद्याविशारदाय नमः।
710) ॐ अमोघाय नमः।
711) ॐ अमोघदृष्टये नमः।
712) ॐ इष्टदाय नमः।
713) ॐ अरिष्टनाशनाय नमः।
714) ॐ अर्थाय नमः।
715) ॐ अनर्थापहारिणे नमः।
716) ॐ समर्थाय नमः।
717) ॐ रामसेवकाय नमः।
718) ॐ अर्थिवन्द्याय नमः।
719) ॐ असुरारातये नमः।
720) ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः।
721) ॐ आत्मभुवे नमः।
722) ॐ सङ्कर्षणाय नमः।
723) ॐ विशुद्धात्मने नमः।
724) ॐ विद्याराशये नमः।
725) ॐ सुरेश्वराय नमः।
726) ॐ अचलोद्धारकाय नमः।
727) ॐ नित्याय नमः।
728) ॐ सेतुकृते नमः।
729) ॐ रामसारथये नमः।
730) ॐ आनन्दाय नमः।
731) ॐ परमानन्दाय नमः।
732) ॐ मत्स्याय नमः।
733) ॐ कूर्माय नमः।
734) ॐ निराश्रयाय नमः।
735) ॐ वाराहाय नमः।
736) ॐ नारसिंहाय नमः।
737) ॐ वामनाय नमः।
738) ॐ जमदग्निजाय नमः।
739) ॐ रामाय नमः।
740) ॐ कृष्णाय नमः।
741) ॐ शिवाय नमः।
742) ॐ बुद्धाय नमः।
743) ॐ कल्किने नमः।
744) ॐ रामाश्रयाय नमः।
745) ॐ हरये नमः।
746) ॐ नन्दिने नमः।
747) ॐ भृङ्गिणे नमः।
748) ॐ चण्डिने नमः।
749) ॐ गणेशाय नमः।
750) ॐ गणसेविताय नमः।
751) ॐ कर्माध्यक्षाय नमः।
752) ॐ सुराध्यक्षाय नमः।
753) ॐ विश्रामाय नमः।
754) ॐ जगतीपतये नमः।
755) ॐ जगन्नाथाय नमः।
756) ॐ कपीशाय नमः।
757) ॐ सर्वावासाय नमः।
758) ॐ सदाश्रयाय नमः।
759) ॐ सुग्रीवादिस्तुताय नमः।
760) ॐ दान्ताय नमः।
761) ॐ सर्वकर्मणे नमः।
762) ॐ प्लवङ्गमाय नमः।
763) ॐ नखदारितरक्षसे नमः।
764) ॐ नखयुद्धविशारदाय नमः।
765) ॐ कुशलाय नमः।
766) ॐ सुधनाय नमः।
767) ॐ शेषाय नमः।
768) ॐ वासुकये नमः।
769) ॐ तक्षकाय नमः।
770) ॐ स्वर्णवर्णाय नमः।
771) ॐ बलाढ्याय नमः।
772) ॐ पुरुजेत्रे नमः।
773) ॐ अघनाशनाय नमः।
774) ॐ कैवल्यरूपाय नमः।
775) ॐ कैवल्याय नमः।
776) ॐ गरुडाय नमः।
777) ॐ पन्नगोरगाय नमः।
778) ॐ किल्किल् रावहतारातये नमः।
779) ॐ गर्वपर्वतभेदनाय नमः।
780) ॐ वज्राङ्गाय नमः।
781) ॐ वज्रदंष्ट्राय नमः।
782) ॐ भक्तवज्रनिवारकाय नमः।
783) ॐ नखायुधाय नमः।
784) ॐ मणिग्रीवाय नमः।
785) ॐ ज्वालामालिने नमः।
786) ॐ भास्कराय नमः।
787) ॐ प्रौढप्रतापाय नमः।
788) ॐ तपनाय नमः।
789) ॐ भक्ततापनिवारकाय नमः।
790) ॐ शरणाय नमः।
791) ॐ जीवनाय नमः।
792) ॐ भोक्त्रे नमः।
793) ॐ नानाचेष्टाय नमः।
794) ॐ अचञ्चलाय नमः।
795) ॐ स्वस्तिमते नमः।
796) ॐ स्वास्तिदाय नमः।
797) ॐ दुःखशातनाय नमः।
798) ॐ पवनात्मजाय नमः।
799) ॐ पावनाय नमः।
800) ॐ पवनाय नमः।

801) ॐ कान्ताय नमः।
802) ॐ भक्तागःसहनाय नमः।
803) ॐ बलिने नमः।
804) ॐ मेघनादरिपवे नमः।
805) ॐ मेघनादसंहतराक्षसाय नमः।
806) ॐ क्षराय नमः।
807) ॐ अक्षराय नमः।
808) ॐ विनीतात्मने नमः।
809) ॐ वानरेशाय नमः।
810) ॐ सताङ्गतये नमः।
811) ॐ श्रीकण्ठाय नमः।
812) ॐ शितिकण्ठाय नमः।
813) ॐ सहायाय नमः।
814) ॐ सहनायकाय नमः।
815) ॐ अस्थूलाय नमः।
816) ॐ अनणवे नमः।
817) ॐ भर्गाय नमः।
818) ॐ दिव्याय नमः।
819) ॐ संसृतिनाशनाय नमः।
820) ॐ अध्यात्मविद्यासाराय नमः।
821) ॐ अध्यात्मकुशलाय नमः।
822) ॐ सुधिये नमः।
823) ॐ अकल्मषाय नमः।
824) ॐ सत्यहेतवे नमः।
825) ॐ सत्यदाय नमः।
826) ॐ सत्यगोचराय नमः।
827) ॐ सत्यगर्भाय नमः।
828) ॐ सत्यरूपाय नमः।
829) ॐ सत्याय नमः।
830) ॐ सत्यपराक्रमाय नमः।
831) ॐ अञ्जनाप्राणलिङ्गाय नमः।
832) ॐ वायुवंशोद्भवाय नमः।
833) ॐ शुभाय नमः।
834) ॐ भद्ररूपाय नमः।
835) ॐ रुद्ररूपाय नमः।
836) ॐ सुरूपाय नमः।
837) ॐ चित्ररूपधृषे नमः।
838) ॐ मैनाकवन्दिताय नमः।
839) ॐ सूक्ष्मदर्शनाय नमः।
840) ॐ विजयाय नमः।
841) ॐ जयाय नमः।
842) ॐ क्रान्तदिङ्मण्डलाय नमः।
843) ॐ रुद्राय नमः।
844) ॐ प्रकटीकृतविक्रमाय नमः।
845) ॐ कम्बुकण्ठाय नमः।
846) ॐ प्रसन्नात्मने नमः।
847) ॐ ह्र​स्वनासाय नमः।
848) ॐ वृकोदराय नमः।
849) ॐ लम्बौष्ठाय नमः।
850) ॐ कुण्डलिने नमः।
851) ॐ चित्रमालिने नमः।
852) ॐ योगविदां वराय नमः।
853) ॐ विपश्चिते नमः।
854) ॐ कवये नमः।
855) ॐ आनन्दविग्रहाय नमः।
856) ॐ अनल्पशासनाय नमः।
857) ॐ फाल्गुनीसूनवे नमः।
858) ॐ अव्यग्राय नमः।
859) ॐ योगात्मने नमः।
860) ॐ योगतत्पराय नमः।
861) ॐ योगविदे नमः।
862) ॐ योगकर्त्रे नमः।
863) ॐ योगयोनये नमः।
864) ॐ दिगम्बराय नमः।
865) ॐ अकारादिहकारान्तवर्णनिर्मितविग्रहाय नमः।
866) ॐ उलूखलमुखाय नमः।
867) ॐ सिद्धसंस्तुताय नमः।
868) ॐ प्रमथेश्वराय नमः।
869) ॐ श्लिष्टजङ्घाय नमः।
870) ॐ श्लिष्टजानवे नमः।
871) ॐ श्लिष्टपाणये नमः।
872) ॐ शिखाधराय नमः।
873) ॐ सुशर्मणे नमः।
874) ॐ अमितशर्मणे नमः।
875) ॐ नारायणपरायणाय नमः।
876) ॐ जिष्णवे नमः।
877) ॐ भविष्णवे नमः।
878) ॐ रोचिष्णवे नमः।
879) ॐ ग्रसिष्णवे नमः।
880) ॐ स्थाणवे नमः।
881) ॐ हरिरुद्रानुसेकाय नमः।
882) ॐ कम्पनाय नमः।
883) ॐ भूमिकम्पनाय नमः।
884) ॐ गुणप्रवाहाय नमः।
885) ॐ सूत्रात्मने नमः।
886) ॐ वीतरागस्तुतिप्रियाय नमः।
887) ॐ नागकन्याभयध्वंसिने नमः।
888) ॐ रुक्मवर्णाय नमः।
889) ॐ कपालभृते नमः।
890) ॐ अनाकुलाय नमः।
891) ॐ भवोपायाय नमः।
892) ॐ अनपायाय नमः।
893) ॐ वेदपारगाय नमः।
894) ॐ अक्षराय नमः।
895) ॐ पुरुषाय नमः।
896) ॐ लोकनाथाय नमः।
897) ॐ ऋक्षःप्रभवे नमः।
898) ॐ दृढाय नमः।
899) ॐ अष्टाङ्गयोग फलभुजे नमः।
900) ॐ सत्यसन्धाय नमः।

901) ॐ पुरुष्टुताय नमः।
902) ॐ श्मशानस्थाननिलयाय नमः।
903) ॐ प्रेतविद्रावणक्षमाय नमः।
904) ॐ पञ्चाक्षरपराय नमः।
905) ॐ पञ्चमातृकाय नमः।
906) ॐ रञ्जनध़्वजाय नमः।
907) ॐ योगिनीवृन्दवन्द्यश्रियै नमः।
908) ॐ शत्रुघ्नाय नमः।
909) ॐ अनन्तविक्रमाय नमः।
910) ॐ ब्रह्मचारिणे नमः।
911) ॐ इन्द्रियरिपवे नमः।
912) ॐ धृतदण्डाय नमः।
913) ॐ दशात्मकाय नमः।
914) ॐ अप्रपञ्चाय नमः।
915) ॐ सदाचाराय नमः।
916) ॐ शूरसेनाविदारकाय नमः।
917) ॐ वृद्धाय नमः।
918) ॐ प्रमोदाय नमः।
919) ॐ आनन्दाय नमः।
920) ॐ सप्तद्वीपपतिन्धराय नमः।
921) ॐ नवद्वारपुराधाराय नमः।
922) ॐ प्रत्यग्राय नमः।
923) ॐ सामगायकाय नमः।
924) ॐ षट्चक्रधान्मे नमः।
925) ॐ स्वर्लोकाभयकृते नमः।
926) ॐ मानदाय नमः।
927) ॐ मदाय नमः।
928) ॐ सर्ववश्यकराय नमः।
929) ॐ शक्तये नमः।
930) ॐ अनन्ताय नमः।
931) ॐ अनन्तमङ्गलाय नमः।
932) ॐ अष्टमूर्तये नमः।
933) ॐ नयोपेताय नमः।
934) ॐ विरूपाय नमः।
935) ॐ सुरसुन्दराय नमः।
936) ॐ धूमकेतवे नमः।
937) ॐ महाकेतवे नमः।
938) ॐ सत्यकेतवे नमः।
939) ॐ महारथाय नमः।
940) ॐ नन्दिप्रियाय नमः।
941) ॐ स्वतन्त्राय नमः।
942) ॐ मेखलिने नमः।
943) ॐ डमरुप्रियाय नमः।
944) ॐ लौहाङ्गाय नमः।
945) ॐ सर्वविदे नमः।
946) ॐ धन्विने नमः।
947) ॐ खण्डलाय नमः।
948) ॐ शर्वाय नमः।
949) ॐ ईश्वराय नमः।
950) ॐ फलभुजे नमः।
951) ॐ फलहस्ताय नमः।
952) ॐ सर्वकर्मफलप्रदाय नमः।
953) ॐ धर्माध्यक्षाय नमः।
954) ॐ धर्मपालाय नमः।
955) ॐ धर्माय नमः।
956) ॐ धर्मप्रदाय नमः।
957) ॐ अर्थदाय नमः।
958) ॐ पञ्चविंशतितत्त्वज्ञाय नमः।
959) ॐ तारकाय नमः।
960) ॐ ब्रह्मतत्पराय नमः।
961) ॐ त्रिमार्गवसतये नमः।
962) ॐ भीमाय नमः।
963) ॐ सर्वदुःखनिबर्हणाय नमः।
964) ॐ ऊर्जस्वते नमः।
965) ॐ निष्कलाय नमः।
966) ॐ शूलिने नमः।
967) ॐ मौलिने नमः।
968) ॐ गर्जन्निशाचराय नमः।
969) ॐ रक्ताम्बरधराय नमः।
970) ॐ रक्ताय नमः।
971) ॐ रक्तमाल्याय नमः।
972) ॐ विभूषणाय नमः।
973) ॐ वनमालिने नमः।
974) ॐ शुभाङ्गाय नमः।
975) ॐ श्वेताय नमः।
976) ॐ श्वेताम्बराय नमः।
977) ॐ यूने नमः।
978) ॐ जयाय नमः।
979) ॐ अजयपरीवाराय नमः।
980) ॐ सहस्रवदनाय नमः।
981) ॐ कपये नमः।
982) ॐ शाकिनीडाकिनीयक्षरक्षोभूतप्रभञ्जकाय नमः।
983) ॐ सद्योजाताय नमः।
984) ॐ कामगतये नमः।
985) ॐ ज्ञानमूर्तये नमः।
986) ॐ यशस्कराय नमः।
987) ॐ शम्भुतेजसे नमः।
988) ॐ सार्वभौमाय नमः।
989) ॐ विष्णुभक्ताय नमः।
990) ॐ प्लवङ्गमाय नमः।
991) ॐ चतुर्नवतिमन्त्रज्ञाय नमः।
992) ॐ पौलस्त्यबलदर्पघ्ने नमः।
993) ॐ सर्वलक्ष्मीप्रदाय नमः।
994) ॐ श्रीमते नमः।
995) ॐ अङ्गदप्रियाय नमः।
996) ॐ ईडिताय नमः।
997) ॐ स्मृतिबीजाय नमः।
998) ॐ सुरेशानाय नमः।
999) ॐ संसारभयनाशनाय नमः।
1000) ॐ उत्तमाय नमः।
1001) ॐ श्रीपरीवाराय नमः।
1002) ॐ श्रिताय नमः।
1003) ॐ रुद्राय नमः।
1004) ॐ कामदुहे नमः

हनुमान सहस्रनाम के लाभ – Benefits of Hanuman Sahasranama
प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । पीपल के जड़ पर बैठ कर पाठ करने से शत्रुजन्य भय नष्ट होता है तथा समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है । इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के रोग (ज्वर, अपस्मार, मिर्गी, हिस्टीरिया आदि) नष्ट हो जाते हैं तथा सुख, सम्पत्ति आदि प्राप्त होते हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की कृपा से साधक को स्वर्ग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो प्राणी इस स्तोत्र का नित्य पाठ करता है एवं सुनता अथवा सुनाता है, वह पवन पुत्र की कृपा से सभी मनोवांछित फल को प्राप्त करता है । इस स्तोत्र के प्रयोग से बंध्या स्त्री को पुत्र की प्राप्ति होती है ।

हनुमान सहस्त्रनाम स्त्रोत विधि – Hanuman Sahasranam Path Vidhi
हर एक मंगलवार एवं शनिवार को ब्रह्म मुहुर्त में स्नान कर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने पूर्व दिशा में मुख करके आसन बिछाकर बैठ जायें । हनुमानजी के सम्मुख तेल की दीपक जलायें तथा धूप निवेदित करें । तत्पश्चात दाहिने हाथ में जल लेकर विनियोग “ॐ अस्य श्री हनुमत्सहस्त्रनाम ..” से आरम्भ कर “ जपे विनियोग ” तक पढ़कर भूमि पर जल छोड़ दें ।जिस कार्य के लिये हनुमान सहस्त्रनाम का पाठ किया जाये उसे विनियोग में “ मम सर्वोपद्रव शान्त्यर्थ ” की जगह बोलना चाहिये । जैसे पेट की पीड़ाके लिये “मम उदर पीड़ा शान्त्यर्थ” । इसके बाद न्यास तथा ध्यान कर के पाठ आरम्भ करें ।

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