Shree Hanuman Chalisa in Hindi 2023

Shree Hanuman Chalisa In Hindi:-  हनुमान चालीसा पढ़ने से साधक को जीवन की समस्याओं व भय से मुक्ति प्राप्त होती है। गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्री हनुमान चालीसा (Shree Hanuman Chalisa in Hindi) में चमत्कारी शक्तियों का वर्णन किया गया है, जिनका पाठ करने से हनुमंत कृपा जरूर मिलती है। श्री हनुमान चालीसा अवधी में लिखी एक काव्यात्मक कृति है, जिसमें प्रभु श्री राम के महान(अनन्य) भक्त श्री हनुमान जी के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। यह अत्यन्त लघु रचना है, जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुंदर स्तुति की गई है। इसमें बजरंगबली‍ जी की भावपूर्ण वन्दना तो है ही, प्रभु श्री राम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है। ‘चालीसा’ शब्द से अभिप्राय ‘चालीस’ (40) का है, क्योंकि इस स्तुति में 40 छन्द हैं (परिचय के 2 दोहों को छोड़कर)। हनुमान चालीसा भगवान हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्तों द्वारा की जाने वाली प्रार्थना हैं, जिसमें 40 पंक्तियाँ होती है। इसलिए इस प्रार्थना को हनुमान चालीसा कहा जाता है। इस हनुमान चालीसा को भक्त तुलसीदास जी द्वारा लिखा गया है, जिसे बहुत शक्तिशाली माना जाता है।

 

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।  जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा।   अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।

 कंचन बरन बिराज सुबेसा।  कानन कुंडल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै।

 संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

 विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।

 प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।

 सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

 भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।

 लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

 रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

 सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

 सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।

 जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

 तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

 तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

 जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

 प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

 दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। 

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

 सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना।।

 आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।

 भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।

 नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

 संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

 सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।

 और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।।

 चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।

 साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।

 अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।

 राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।

 तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

 अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

 और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

 संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

 जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

 जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।।

 जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

 तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 

दोहा :

 पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

इतिहास

एक बार अकबर ने गोस्वामी जी को अपनी सभा में बुलाया और उनसे कहा कि मुझे भगवान श्रीराम से मिलवाओ। तब तुलसीदास जी ने कहा कि भगवान श्री राम केवल अपने भक्तों को ही दर्शन देते हैं। यह सुनते ही अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को कारागार में बंद करवा दिया। कारावास में गोस्वामी जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी। जैसे ही हनुमान चालीसा लिखने का कार्य पूर्ण हुआ वैसे ही पूरी फतेहपुर सीकरी को बन्दरों ने घेरकर उस पर धावा बोल दिया । अकबर की सेना भी बन्दरों का आतंक रोकने में असफल रही। तब अकबर ने किसी मन्त्री की परामर्श को मानकर तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त कर दिया। जैसे ही तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त किया गया उसी समय बन्दर सारा क्षेत्र छोड़कर चले गये

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