भगवान् सूर्य देव को प्रसन्न करने का चमत्कारी उपाय
पौष महीने में सूर्य देव का स्वरुप भगवान् का होता है जो मनुष्य पौष महीने में सूर्य देव के बारह नामो का जप करते है उन पर भगवान् की कृपा होती है व् उनके दुख, दरिद्रता व् पापो का नाश होता हैं।
Shri Surya Chalisa PDF : श्री सूर्य चालीसा सूर्य देव की महिमा का गान
नमस्कार दोस्तों! आज हम आपको एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिंदी भक्ति ग्रंथ “श्री सूर्य चालीसा” के बारे में बताएंगे। यह चालीसा सूर्य देव की महिमा को गाने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का अद्वितीय तरीका है।
श्री सूर्य चालीसा क्या है?
“श्री सूर्य चालीसा” एक हिंदू भक्ति ग्रंथ है, जिसमें सूर्य देव की महिमा, गुण, और कार्यों का वर्णन किया गया है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्त को सूर्य देव के कृपांशानुसार सुख, संपत्ति, स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती है। यह ग्रंथ सूर्य पूजा में भी प्रयोग किया जाता है।
श्री सूर्य चालीसा के महत्व
- सूर्य की पूजा: यह चालीसा सूर्य देव की पूजा के अद्वितीय रूप में मानी जाती है। सूर्य देव हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, और इसका पाठ करने से हम सूर्य की कृपा प्राप्त करते हैं।
- रोग निवारण: सूर्य चालीसा का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक रोगों का निवारण होता है। सूर्य देव की कृपा से हमें स्वस्थ और ऊर्जावान रहने का आशीर्वाद मिलता है।
- धन संपत्ति: सूर्य चालीसा का पाठ करने से धन, संपत्ति, और वित्तीय समृद्धि में वृद्धि होती है। यह चालीसा वित्तीय समस्याओं को दूर करने में मदद करती है।
श्री सूर्य चालीसा के लाभ
सूर्य चालीसा के पाठ करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- स्वास्थ्य में सुधार: सूर्य चालीसा का नियमित पाठ करने से आपके स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह रोगों को दूर करने में मदद करता है और आपको ऊर्जावान बनाता है।
- धन और संपत्ति: सूर्य चालीसा का पाठ करने से आपको धन और संपत्ति में वृद्धि मिलती है। यह आपके वित्तीय स्थिति में सुधार करता है और आपको आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है।
- कार्यों में सफलता: सूर्य चालीसा का पाठ करने से आपके कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। यह आपके कार्यों को सम
ृद्धि और सफलता की ओर बढ़ाता है।
- मानसिक शांति: सूर्य चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है। यह आपको चिंता, तनाव, और दुख से दूर रखता है और मानसिक स्थिति को सुधारता है।
श्री सूर्य चालीसा का पाठ कैसे करें?
सूर्य चालीसा का पाठ करने के लिए आपको निम्नलिखित कदमों का पालन करना चाहिए:
- शुद्धि का ध्यान: पाठ करने से पहले, आपको शुद्ध मनसा और वाचा करना चाहिए।
- उपयुक्त स्थान: एक शांत और पवित्र स्थान पर बैठें और चालीसा का पाठ करें।
- माला का उपयोग: माला का उपयोग करके सूर्य चालीसा का पाठ करें, और प्रत्येक मंत्र के बाद माला को एक माला आगे बढ़ाएं।
- नियमितता: सूर्य चालीसा का नियमित पाठ करें, प्रतिदिन समय निश्चित करें और उस समय ही पाठ करें।
- श्रद्धा और भक्ति: पाठ के समय श्रद्धा और भक्ति बरतें, और सूर्य देव की आराधना में पूरी श्रद्धा और विश्वास रखें।
चालीसा का पाठ कैसे करें?
यहां हम आपको “श्री सूर्य चालीसा” के पहले दो श्लोक का पाठ करने का तरीका बताते हैं:
Shri Surya Chalisa PDF Lyrics in Hindi
|| श्री सूर्य चालीसा ||
|| श्री गणेशाय नमः ||
|| दोहा ||
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग ।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग ॥
|| चौपाई ||
जय सविता जय जयति दिवाकर । सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिर हर ॥
भानु पतंग मरीची भास्कर । सविता हंस सुनूर विभाकर ॥
विवस्वान आदित्य विकर्तन । मार्तण्ड हरिरूप विरोचन ॥
अंबर मणि खग रवि कहलाते । वेद हिरण्यगर्भ कह गाते ॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन कहिकहि । मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि ॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर । हांकत हय साता चढ़ि रथ पर ॥
मंडल की महिमा अति न्यारी । तेज रूप केरी बलिहारी ॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते । देखि पुरन्दर लज्जित होते ॥
मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर । सविता सूर्य अर्क खग कलिकर ॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै । हिरण्य गर्भाय नमः कहिकै ॥
द्वादश नाम प्रेम सोंम गावैंम । मस्तक बारह बार नवावैं ॥
चार पदारथ जन सो पावै । दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै ॥
नमस्कार को चमत्कार यह । विधि हरिहर को कृपासार यह ॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई । अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई ॥
बारह नाम उच्चारन करते । सहस जनम के पातक टरते ॥
उपाख्यान जो करते तवजन । रिपु सों जमलहते सोतेहि छन ॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है । प्रबल मोह को फंद कटतु है ॥
अर्क शीश को रक्षा करते । रवि ललाट पर नित्य बिहरते ॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत । कर्ण देस पर दिनकर छाजत ॥
भानु नासिका वास करहु नित । भास्कर करत सदा मुखको हित ॥
ओंठ रहैं पञ्च जन्य हमारे । रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे ॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा । तिग्म तेजसः कांधे लोभा ॥
पूषां बाहू मित्र पठी पर । त्वष्टा वरुण रहम संष्णाकर ॥
युगल हाथ पर रक्षा कारण । भानुमान उर सर्म सु उद रचन ॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर । कटिमहहान्स रहत मन मुदभर ॥
जंघा गोपति सविता बासा । गुप्त दिवाकर करत हुलासा ॥
विवस्वान पद की रखवारी । बाहर बसते नित तम हारी ॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै । रक्षा कवच विचित्र विचारे ॥
अस जोजन अपने मन माहीं । भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दरिद्र कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै । योजन याको मन मह जापै ॥
अंधकार जग का जो हरता । नव प्रकाश से आनन्द भरता ॥
ग्रह गण ग्रसि न मिटावत जाही । कोटि बार मैं प्रनवौं ताही ॥
मंद सदृश सुत जग में जाके । धर्मराज सम अद्भुत बांके ॥
धन्य धन्य तुम दिनमनि देवा । किया करत सुरमुनि नर सेवा ॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों । दूर हटतसो भवके भ्रम सों ॥
परम धन्य सों नर तनधारी । हैंम प्रसन्न जेहि पर तम हारी ॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन । मधु वेदांग नाम रवि उदयन ॥
भानु उदय बैसाख गिनावै । ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै ॥
यम भादों आश्विन हिमरेता । कार्तिक होत दिवाकर नेता ॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं । पुरुष नाम रवि हैं मलमा सहिं ॥
|| दोहा ||
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य ।
सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहिं सदा कृतकृत्य ॥
॥ इति श्री सूर्य चालीसा सम्पूर्णम ॥
- सबसे पहले, शुद्ध मनसा और वाचा के साथ ध्यान केंद्रित करें।
- माला को अपने अंगूठे और मध्यमा उंगली के बीच में रखें।
- दूसरे हाथ के अंगूठे को माला के गणितकों में दिल लगाकर ध्यान बनाए रखें।
- अब प्रारम्भ करें और पहले दो श्लोक का पाठ करें, माला को एक माला आगे बढ़ाएं।
- इसके बाद श्री सूर्य चालीसा का आगे का भाग पढ़ें, ध्यान से और भक्ति भाव से।
- पूरे पाठ के बाद, सूर्य देव की आराधना करें और उनके आशीर्वाद का प्राप्ति करने की प्रार्थना करें।
श्री सूर्य चालीसा का समापन
“श्री सूर्य चालीसा” का पाठ करने से हम सूर्य देव की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से हमारा जीवन सुखमय और समृद्धि से भरा रहता है। इस चालीसा को नियमित रूप से पाठ करने से हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी सुधारता है। यह हमारे जीवन को संपूर्णता और खुशियों से भर देता है।
इस ब्लॉग पोस्ट में हमने “श्री सूर्य चालीसा” के महत्व, लाभ, और पाठ का तरीका बताया है। सूर्य देव की आराधना करने से हम अपने जीवन को धन, स्वास्थ्य, और समृद्धि से भर देते हैं। हमें उम्मीद है कि आप भी इस चालीसा का पाठ करके सूर्य देव के आशीर्वाद को प्राप्त करेंगे।
धन्यवाद! जय सूर्य देव!
ध्यान दें: यह ब्लॉग पोस्ट केवल धार्मिक और भक्ति कार्यों के लिए है, और किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक गुरु की मार्गदर्शन के बिना किया जाने नहीं चाहिए। यह चालीसा पाठ करने से पहले आपके गुरु या पंडित से परामर्श करें।
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